पंजाब में मंत्री से काम करवाने के लिए क्षेत्र के विधायक की सहमति जरूरी
पंजाब में मंत्री किसी व्यक्ति का सिफारिशी काम नहीं सीधे नहीं करेंगे। इसके लिए संबंधित क्षेत्र के विधायक की सहमति होने जरूरी होगी।
चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। कांग्रेस सरकार अपने किसी भी विधायक के हक पर 'डाका' नहीं डालेगी। इसके लिए मंत्रियों की आपस में सहमति बन गई है। मंत्रियों के पास सीधे काम लेकर आने वाले किसी भी व्यक्ति का काम तब तक नहीं होगा जब तक स्थानीय विधायक उस पर अपनी 'मोहर' नहीं लगा देता है। इसके पीछे मुख्य कारण है कि विधायक किसी भी स्थिति में अपनेआप को कमजोर न समझे।
इन दिनों ट्रांसफर-पोस्टिंग से लेकर अन्य कार्यों को लेकर कांग्रेसी कार्यकर्ता जोर-शोर से मंत्रियों के पास पहुंच रहे हैं। यही नहीं कार्यकर्ता मंत्रियों से पुलिस अधिकारियों तक के सिफारिश करने की बात कर रहे हैं, लेकिन मंत्री सीधे किसी भी कागज को पकड़ने से कतरा रहे हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री की तरफ से उन्हें निर्देश जारी किए गए है कि जब तक स्थानीय विधायक की सिफारिश न हो तब तक किसी भी प्रकार के सरकारी काम को सीधे रूप से न निपटाया जाए। यही कारण है कि मंत्री भी आने वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं को अर्जी पर विधायक की सिफारिश की मांग कर रहे हैं।
एक वरिष्ठ मंत्री कहते हैं अगर सीधे काम होने लगेंगे तो क्षेत्रीय विधायक का क्या महत्व रह जाएगा, जबकि विधायक क्षेत्र में पार्टी का प्रतिनिधित्व करता है। कई काम ऐसे होते हैं जिसके बारे में क्षेत्रीय विधायक को ही पता है। इसलिए भी यह जरूरी हो जाता है कि स्थानीय विधायक को विश्वास में जरूर लिया जाए, ताकि विधायक में किसी भी प्रकार की असुरक्षा की भावना न पैदा हो।
मुख्यमंत्री के करीबी बताते हैं कि इस तरह से काम में पादर्शिता बनी रहती है, क्योंकि चंडीगढ़ में बैठे मंत्री को क्षेत्रीय स्तर पर क्या चल रहा है इसकी जानकारी नहीं हो पाती है। स्थानीय विधायक को पता होता है कि कौन पार्टी के साथ है और कौन नहीं। अगर स्थानीय विधायक सिफारिश करता है तो उसकी जिम्मेदारी बन जाती है। अलबत्ता, अगर स्थानीय विधायक किसी काम को न करे तो फिर मंत्री तक अप्रोच करने में कोई हर्ज नहीं है। बहरहाल कांग्रेस यह मान रही है कि इस पैटर्न से विधायकों का सरकार पर विश्वास बढ़ेगा।
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