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    अंग देकर या लेकर भी महिलाएं बन सकती हैं मां, दोनों केस का उदाहरण बना चंडीगढ़, उत्तराखंड की सरोज ने रचा इतिहास

    By JagranEdited By: Ankesh Thakur
    Updated: Thu, 29 Sep 2022 11:18 AM (IST)

    अंगदान करने से अभी भी लोग बहुत डरते हैं। उनके अंग दूसरों को नया जीवन दे सकते हैं। उनकी जिंदगी में खुशियां ला सकते हैं। टूटती जिंदगी की डोर को फिर से जोड़ने का काम यह अंग करते हैं।

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    उत्तराखंड की 32 वर्षीय महिला सरोज ने पीजीआइ में बच्ची को जन्म दिया है।

    बलवान करिवाल, चंडीगढ़। अंगदान करने से अभी भी लोग बहुत डरते हैं। उनके अंग दूसरों को नया जीवन दे सकते हैं। उनकी जिंदगी में खुशियां ला सकते हैं। टूटती जिंदगी की डोर को फिर से जोड़ने का काम यह अंग करते हैं। साथ ही आर्गन के ट्रांसप्लांटेशन के बाद भी जीवन में ज्यादा कुछ नहीं बदलता। जीवन दूसरों की तरह ही सामान्य हो जाता है। इतना ही नहीं महिलाएं अंग देने और लेने के बाद दोनों ही स्थिति में संतान का सुख भी प्राप्त कर सकती हैं यानी वह बच्चे को जन्म भी दे सकती हैं। इसमें कोई परेशानी नहीं रहती। यह दोनों ही उदाहरणों का गवाह चंडीगढ़ बना है।

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    पहला उदाहरण उत्तराखंड की 32 वर्षीय महिला सरोज का है। पीजीआइ चंडीगढ़ ने किडनी और पेनक्रियाज ट्रांसप्लांट करा चुकी सरोज की सफल डिलीवरी कराई है। पीजीआइ चंडीगढ़ ने ही चार वर्ष पहले महिला की किडनी और पेनक्रियाज ट्रांसप्लांट की थी। बुधवार को पीजीआइ में उत्तराखंड निवासी 32 वर्षीय सरोज ने बच्ची को जन्म दिया है। मां और बच्ची दोनों ही स्वस्थ हैं। पीजीआइ का दावा है कि किडनी और पेनक्रियाज ट्रांसप्लांट करा चुकी किसी महिला की डिलीवरी कराना पूरे देश में यह पहला केस है।  

    सरोज ने ऐसे रचा इतिहास, दूसरी महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा

    सरोज ने ट्रांसप्लांट के बाद बच्ची को जन्म देकर इतिहास रच दिया है। वह दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन गई हैं। सरोज 13 साल की उम्र में ही डायबिटीज से ग्रस्त हो गई थी। बाल अवस्था में ही सरोज की सेहत काफी बिगड़ने लगी थी। तभी से उसका पीजीआइ चंडीगढ़ में ही इंडोक्रोनोलाजी डिपार्टमेंट में इलाज चल रहा है। 2016 में अचानक बीमारी के कारण सरोज की किडनी भी फेल हो गई। उस समय डायबिटीज का स्तर इतना ज्यादा बढ़ गया था कि उसे इंसुलिन के हैवी डोज देनी पड़ रही थी। इसके बाद डाक्टरों ने उसकी किडनी और पेनक्रियाज ट्रांसप्लांट कराने का सुझाव दे दिया था। सरोज के लिए डोनर ढूंढने की सलाह दी गई थी। इसे सरोज की किस्मत ही कहेंगे कि 2018 में एक परिवार ने अपने किसी खास के ब्रेन डेड होने पर उसके पीजीआइ को अंगदान कर दिए थे। अंगदान से मिली किडनी और पेनक्रियाज सरोज को ट्रांसप्लांट की गई। वह बिल्कुल स्वस्थ हो गई। इसके बाद 2020 में सरोज की शादी हो गई। सरोज लगातार पीजीआइ डाक्टरों के संपर्क में रही। डाक्टरों की सलाह के बाद ही उसने बच्चा पैदा करने का फैसला लिया।

    रूपा अरोड़ा बनी प्रेरणा, पति को किडनी देने के बाद बेटे का दिया था जन्म

    दूसरा उदाहरण रूपा अरोड़ा का है उन्होंने अपने पति पीके रतन को अपनी किडनी डोनेट की थी। किडनी डोनेट करने के बाद उन्होंने कई साल बाद बेटे को जन्म दिया था। अब वह दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी हैं। यह पति पत्नी देश ही नहीं विदेशों में भी अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं। पीके रतन अपनी नई जिंदगी और पत्नी के त्याग को सभी को बताकर अंगदान के प्रति प्रेरित कर रहे हैं। साथ ही रूपा अरोड़ा महिलाओं को बता रही हैं कि आर्गन ट्रांसप्लांटेशन के बाद भी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती। वह इसके बाद भी मां बन सकती हैं। रूपा अरोड़ा शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं। जबकि पीके रतन इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत हैं।

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