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    'केस की जल्दी सुनवाई करें वरना...', महिला वकील ने हाईकोर्ट के जज को दी धमकी

    Updated: Tue, 22 Jul 2025 11:05 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महिला वकील को अदालत की गरिमा भंग करने के आरोप में अवमानना नोटिस जारी किया है। वकील पर न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने का भी आरोप है। अदालत ने वकील की टिप्पणियों को अशोभनीय माना और कहा कि उन्होंने न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है। महिला वकील को 29 अगस्त तक जवाब दाखिल करने को कहा गया है।

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    केस की जल्द सुनवाई को लेकर महिला वकील ने हाईकोर्ट जज को दी धमकी

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महिला वकील को अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाने और न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप के आरोप में अवमानना नोटिस जारी किया है। जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड की एकल पीठ ने यह नोटिस उस समय जारी किया, जब महिला वकील ने अपनी याचिका की सुनवाई तिथि पहले करने की मांग करते हुए 'अशोभनीय' और 'न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाली' टिप्पणियां कीं।

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    महिला वकील ने धमकी दी थी कि यदि उनके मामले की सुनवाई 31 अक्टूबर से पहले नहीं की गई तो वह इस मामले की सुनवाई करने वाले जजों को सुप्रीम कोर्ट में पक्षकार बनाएंगी। उन्होंने आरोप लगाया था कि जानबूझकर उनके मामले में देरी की जा रही है ताकि उन पर दबाव बनाया जा सके कि वे पंजाब के आईपीएस अधिकारी गुरप्रीत सिंह भुल्लर के खिलाफ दर्ज शिकायतें वापस ले लें।

    हाईकोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'याचिकाकर्ता का यह आचरण न्यायिक प्रक्रिया में दखल देने की कोशिश है, जो प्राथमिक दृष्टया अदालत की अवमानना के दायरे में आता है। कोर्ट की गरिमा और कानून के शासन के सिद्धांतों को इस प्रकार की अनुचित और आधारहीन चुनौती देना न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि यह न्याय प्रणाली की नींव को भी हिला सकता है।'

    जस्टिस बराड़ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता शिक्षित वकील हैं, न कि कोई सामान्य व्यक्ति, इसलिए यह मान लेना उचित नहीं कि यह व्यवहार अज्ञानता के कारण हुआ है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि वकील द्वारा लगाए आरोपों में न तो कोई तथ्यात्मक आधार है और न ही कोई ठोस कारण कि उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया गया।

    महिला वकील को अब 29 अगस्त तक जवाब दाखिल करना है कि क्यों उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू न की जाए। मामला वकील रवनीत कौर की ओर से दायर एक अर्जी की सुनवाई के दौरान सामने आया।

    हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, 'याचिकाकर्ता की ओर से किए गए कथन न्याय प्रणाली की निष्पक्षता पर सीधा हमला है और इन्हें अदालत की अवमानना के रूप में देखा जाना चाहिए।' अदालत ने महिला वकील के इस बर्ताव को न्यायपालिका की साख के लिए खतरा बताया।