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    “आस्चे बोछोर अबार होबे” के संकल्प के साथ मां दुर्गा की विदाई, सिंदूर खेला के साथ मंगल कामना

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 04:02 PM (IST)

    शारदीय नवरात्रों में मां दुर्गा की प्रतिमाओं का सिंदूर खेला के साथ विसर्जन किया गया। कालीबाड़ी मंदिर सेक्टर-47 बंग भवन सेक्टर-35 और सेक्टर-24 में दुर्गा पूजा का आयोजन हुआ। महिलाओं ने सिंदूर खेला करते हुए मां का जयघोष किया और एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया। शोभायात्रा के साथ मां दुर्गा की विदाई हुई और भक्तों ने अगले साल फिर आने का संकल्प लिया।

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    सेक्टर-47 स्थित बंग भवन में सिंदूर खेला के दौरान एक-दूसरे के चेहरे पर सिंदूर लगातीं महिलाएं।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। “आस्चे बोछोर अबार होबे” (अगले साल फिर आएंगी मां) के संकल्प के साथ भक्तों ने मां दुर्गा को विदाई दी। शारदीय नवरात्रों में भक्तों के घरों और मंदिरों में विराजमान हुई मां दुर्गा का सिंदूर खेला के साथ विर्सजन किया गया। कालीबाड़ी मंदिर सेक्टर-47 स्थित बंग भवन सेक्टर-35 और सेक्टर-24 में दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया था। जहां पर महिलाओं ने सुबह इकट्ठे होकर सिंदूर खेला करते हुए मां का जयघोष किया।

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    महिलाओं ने पहले मां मां दुर्गा की प्रतिमाओं को सिंदूर अर्पित किया जिसके बाद मंगल कामनाएं करते हुए एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद लिया। सेक्टर 47 स्थित कालीबाड़ी मंदिर में सुबह महाप्रसाद वितरण के साथ हवन हुआ। इसके बाद महिलाओं ने मां को विदाई स्वरूप सिंदूर अर्पित किया। सेक्टर 35 स्थित बंग भवन में बच्चों और युवाओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं, जिसमें नृत्य और भजन संध्या ने भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया। वहीं सेक्टर 24 राजपूत भवन में भी दुर्गा प्रतिमा के समक्ष महिलाओं ने परंपरागत सिंदूर खेला कर उत्सव मनाया गया।

    सुहागिन महिलाएं करती हैं सिंदूर खेला का आयोजन

    दुर्गा पूजा के उपलक्ष्य पर मां दुर्गा के विर्सजन से पहले खुशी में सुहागिन महिलाएं दुर्गा पूजा का आयोजन करती है। ढाक की थाप, शंखनाद और देवी स्तुति के मंत्रोच्चार के साथ गीत-संगीत में नाच-गाना किया जाता है और मां की विदाई के गीत गाते हुए अगले वर्ष सुख-स्मृद्धि और खुशी के साथ वापस आने की कामना की जाती है।

    शोभा यात्रा से होती है मां दुर्गा की विदाई

    सिंदूर खेला के बाद और प्रतिमाओं के विसर्जन से पहले सभी पूजा समितियों ने शोभायात्रा का आयोजन किया। शोभायात्रा में भक्तों ने जय मां दुर्गा के जयघोष के साथ झूमते-नाचते समां बांध दिया। सिंदूर खेला और प्रतिमा विसर्जन के साथ मां दुर्गा की प्रतिमाओं को विदा कर भक्तों ने “आस्चे बोछोर अबार होबे” (अगले साल फिर आएंगी मां) का संकल्प लिया जाता है।