विधवा की पेंशन से बैंक गलत भुगतान की नहीं कर पाएंगे वसूली, पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने विधवा महिला की पेंशन से रिकवरी पर रोक लगाते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों और आश्रितों से गलत भुगतान की वसूली नहीं की जा सकती। जींद निवासी कमला देवी को अधिक पेंशन मिली जो बैंकिंग त्रुटि के कारण हुई थी। अदालत ने माना कि विधवाओं से वसूली अन्यायपूर्ण है।

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए विधवा महिला की पेंशन से की जा रही रिकवरी पर रोक लगा दी। कोर्ट ने साफ कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों और उनके आश्रितों से बैंक अथवा सरकारी संस्थाएं गलत भुगतान की वसूली नहीं कर सकतीं।
यह आदेश कमला देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया। जींद निवासी कमला देवी को जुलाई 2008 से लेकर 2019 तक हरियाणा सरकार से पारिवारिक पेंशन निर्धारित सीमा से अधिक मिली। यह अतिरिक्त भुगतान बैंकिंग प्रणाली की त्रुटि से हुआ था। वर्ष 2019 में बैंक और अधिकारियों ने आदेश जारी कर उनकी पेंशन से रिकवरी शुरू कर दी।
याचिकाकर्ता ने इन आदेशों को हाई कोर्ट में चुनौती दी और दलील दी कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं थी। याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के फैसले स्टेट ऑफ पंजाब बनाम रफीक मसीह का हवाला देते हुए कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों अथवा उनके स्वजन से रिकवरी नहीं की जा सकती। दूसरी सरकार ने भी स्वीकार किया कि भुगतान की त्रुटि सिस्टम लैप्स के कारण हुई थी और इसमें कमला देवी की कोई भूमिका नहीं थी।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार के रिकवरी आदेश अवैध हैं। कोर्ट ने माना कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों अथवा विधवाओं से वसूली, पांच वर्ष से अधिक अवधि तक हुए अतिरिक्त भुगतान की रिकवरी अन्यायपूर्ण और अवैध है।
जस्टिस जगमोहन बंसल ने कहा कि हर दिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें गलती बैंक की होती है लेकिन बोझ निर्दोष कर्मचारियों व उनके परिवारों पर डाल दिया जाता है। कोर्ट ने टिप्पणी की “बैंक ने कई बार विधवाओं से भी वसूली शुरू कर दी, जो सरासर अनुचित है।
कोर्ट ने अपने पूर्व आदेश शिवानी जोशी बनाम स्टेट बैंक आफ इंडिया का भी उल्लेख किया, जहां बैंक की इसी तरह की लापरवाही पर नाराज़गी जताई गई थी। अदालत ने पाया कि कमला देवी को 2008 से 2019 तक अतिरिक्त भुगतान हुआ और वह एक विधवा हैं, इसलिए उनका मामला सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व फैसलों के अंतर्गत पूरी तरह आता है। इसलिए याचिका स्वीकार करते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि अब बैंक उनकी पेंशन से किसी प्रकार की रिकवरी नहीं करेगा।
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