Farmers Protest: विरोध का भय या कोई और वजह... अनशन से पहले ही हिरासत में क्यों लिए गए जगजीत सिंह डल्लेवाल?
Farmers Protest News भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल (Jagjit Singh Dallewal) को अनशन से पहले हिरासत में ले लिया गया। जिसके बाद सुखजीत सिंह हरदो झंडे को डल्लेवाल की जगह आमरण अनशन पर बैठाया गया। किसानों का कहना है कि केंद्र ने यदि 10 दिन में मांगों पर बातचीत नहीं की तो वे 6 दिसंबर को दिल्ली कूच करेंगे।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। भारतीय किसान यूनियन के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को अनशन पर बैठने से ठीक पहले बीते मंगलवार की सुबह सवेरे साढ़े तीन बजे खन्नौरी बॉर्डर से हिरासत में ले लिया और उन्हें लुधियाना के डीएमसी अस्पताल में दाखिल करवा दिया गया।
हिरासत में लेने की कार्रवाई के साथ ही किसानों नेताओं में हलचल तेज हो गई। खनौरी बॉर्डर पर किसान नेताओं ने दोपहर बाद बैठक की। इसके बाद किसान नेता सुखजीत सिंह हरदो झंडे को डल्लेवाल की जगह आमरण अनशन पर बैठाया गया।
केंद्र सरकार दस दिनों के भीतर मांगों पर करे बातचीत
सुखजीत ने अल्टीमेटम देते हुए कहा कि केंद्र सरकार दस दिन के भीतर एमएसपी सहित अन्य मांगों पर किसानों से बातचीत करे।
अगर दस दिन के भीतर किसानों से बातचीत नहीं की जाती तो छह दिसंबर को शंभू बॉर्डर से दिल्ली के लिए कूच किया जाएगा। सुखजीत ने कहा कि अनशन पर अगर उनकी मौत हो जाती है तो उनका संस्कार न किया जाए। संस्कार मांगें मानने व किसान आंदोलन खत्म होने पर ही किया जाए।
डल्लेवाल को हिरासत में लेने के पीछे की रणनीति
डल्लेवाल को हिरासत में लेने के पीछे की रणनीति कुछ और है। उन्हें हिरासत में लेने का फैसला लेना आसान नहीं था क्योंकि राज्य सरकार को पता है कि इस समय किसानों का गुस्सा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी वाला कानून पारित न करने के चलते केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ है।
अगर सरकार उन्हें अनशन करने की इजाजत देती है और जगजीत सिंह डल्लेवाल जो कैंसर से पीड़ित हैं को कुछ हो गया तो किसानों का सारा गुस्सा प्रदेश सरकार पर फूट पड़ेगा।
वे किसान संगठन जो अभी संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक के इस आंदोलन से बाहर हैं उन्हें भी प्रदेश सरकार के खिलाफ नए सिरे से शुरू होने वाले आंदोलन में शामिल होना पडे़गा।
डॉक्टरों की निगरानी में होगा अनशन
इसे लेकर यह तय किया गया कि जगजीत सिंह डल्लेवाल को अनशन शुरू करने से पहले ही उठा लिया जाए और उन्हें डीएमसी में दाखिल करवा दिया जाए ताकि अगर उन्होंने अस्पताल में भी अनशन शुरू कर लिया तो वह डॉक्टरों की निगरानी में होगा और अनशन के कारण उनकी जान नहीं जाएगी।
इसी कारण डल्लेवाल को अपनी पूरी जायदाद आदि अपने वारिसों के नाम पर करने का पूरा मौका दिया गया ताकि उन्हें यह न लगे कि पुलिस उन्हें अनशन शुरू करने से पहले ही गिरफ्तार करना चाहती है। यह योजना पूरी तरह से गुप्त रखी गई और सुबह सवेरे साढ़े तीन बजे 200 पुलिस कर्मियों सहित खन्नौरी में जाकर डल्लेवाल को हिरासत में लेकर तुरंत डीएमसी लुधियाना में दाखिल करवा दिया।
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पुलिस प्रशासन यह भी जानता था कि अगर अनशन शुरू हो गया तो उन्हें गिरफ्तार करना मुश्किल होगा क्योंकि तब तब प्रदेश भर से काफी गिनती में किसान अनशन स्थल पर पहुंच जाएंगे।
बता दें कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समेत कई अन्य मांगों को लेकर 13 फरवरी से भारतीय किसान यूनियन सिद्धपुर और किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा से जुड़े किसान शंभू बार्डर पर धरना दे रहे हैं। इसी हफ्ते किसान नेताओं ने संघर्ष तेज करने का आह्वान किया था।
कार्यक्रम उसी तरह रहेगा जारी: डल्लेवाल
इसी रणनीति के तहत डल्लेवाल ने मंगलवार से आमरण अनशन शुरू करना था। उधर, किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रधान सरवन सिंह पंढेर ने कहा है कि डल्लेवाल को हिरासत में लेने के बाद भी आमरण अनशन का कार्यक्रम उसी तरह जारी रहेगा।
छह दिसंबर को किसान दिल्ली कूच करेंगे। उन्होंने पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसानों से भी दिल्ली कूच में शामिल होने का आह्वान किया है। पंढेर ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से कहा कि अब वह स्पष्ट करें कि वह किसानों के साथ हैं या केंद्र सरकार के साथ।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू ने स्पष्ट किया है कि इस कार्रवाई में केंद्र की कोई भूमिका नहीं है, लेकिन मुख्यमंत्री पंजाब इस कार्रवाई पर चुप है। उनकी चुप्पी स्पष्ट साबित करती है कि पंजाब सरकार केंद्र के इशारे पर किसान आंदोलन को तोड़ना का प्रयास कर रही है।
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