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    शंभू-खनौरी बॉर्डर से किसानों को क्यों हटाया? भगवंत मान सरकार ने बताए कई कारण; 450 और किसान रिहा

    पंजाब सरकार ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में दिए हलफनामे में खुलासा किया है कि शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन स्थलों पर हालात बिगड़ने की आशंका थी। खुफिया इनपुट में संकेत थे कि किसान बैरिकेड तोड़कर दिल्ली की ओर फिर कूच कर सकते हैं। इसी के चलते राज्य सरकार ने 19-20 मार्च की रात को किसानों को हटाने की कार्रवाई की।

    By Dayanand Sharma Edited By: Sushil Kumar Updated: Mon, 24 Mar 2025 11:31 PM (IST)
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    शंभू बॉर्डर से किसानों को क्यों हटाना पड़ा, भगवंत मान सरकार ने बताए कारण।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने सोमवार को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में दिए हलफनामे में बताया कि शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन स्थलों पर हालात बिगड़ने की आशंका थी। खुफिया इनपुट में यह संकेत था कि किसान बैरिकेड तोड़कर दिल्ली की ओर फिर कूच कर सकते हैं।

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    पटियाला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नानक सिंह ने दायर हलफनामे में बताया कि राज्य की खुफिया एजेंसियों सहित विभिन्न स्रोतों से मिली सूचनाओं के आधार पर यह निष्कर्ष निकला कि किसान बैरिकेडिंग को हिंसक तरीके से तोड़ने की कोशिश कर सकते हैं।

    19 मार्च को किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बैठक के बाद स्थिति और बिगड़ गई। इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री भी शामिल थे, लेकिन किसानों ने इसे असफल बताया। प्रमुख किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने भी बैठक में एंबुलेंस में रहते हुए हिस्सा लिया।

    यह एंबुलेंस पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत उपलब्ध कराई थी। बातचीत असफल होने पर हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने 19-20 मार्च की रात को किसानों को हटाने की कार्रवाई की। इस दौरान किसी तरह की कठोर बल प्रयोग नहीं किया गया।

    डल्लेवाल पुलिस हिरासत में नहीं

    उधर, आमरण अनशन कर रहे किसान नेता डल्लेवाल की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने स्पष्ट किया कि वह पुलिस हिरासत में नहीं हैं और स्वतंत्र हैं। उन्होंने स्वेच्छा से पटियाला के एक अस्पताल में भर्ती होने का विकल्प चुना था।

    जस्टिस मनीषा बत्रा ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि उनके स्वजनों को अस्पताल परिसर में बिना किसी रुकावट उनसे मिलने की अनुमति दी जाए। इस पर राज्य सरकार के वकील ने स्पष्ट किया कि स्वजन उनसे मिल सकते हैं, लेकिन यह सुरक्षा मानकों के तहत होगा, क्योंकि डल्लेवाल की चिकित्सा देखभाल की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।

    दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस बत्रा ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि डल्लेवाल के स्वजनों से मिलने की व्यवस्था अस्पताल परिसर में की जाए। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई 26 मार्च तक स्थगित करते हुए सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का आदेश दिया। अस्पताल में डल्लेवाल की हालत स्थिर है, लेकिन वह पिछले छह दिनों से पानी तक नहीं पी रहे हैं।

    पुलिस हिरासत से 450 और किसानों की रिहाई

    उधर, राज्य सरकार ने शंभू व खनौरी बॉर्डर पर धरना हटाने की कार्रवाई के दौरान हिरासत में लिए 450 और किसानों को रिहा करने का फैसला किया है। इससे पहले भी लगभग 800 किसानों को रिहा किया गया था।

    आईजी मुख्यालय डॉ. सुखचैन सिंह गिल ने बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी महिलाओं, दिव्यांग व्यक्तियों, चिकित्सा स्थितियों वाले और 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी किसानों को तुरंत रिहा करने का निर्देश दिए हैं।

    किसानों की संपत्ति के नुकसान व चोरी घटनाओं पर आईजी ने कहा कि किसान अपनी संपत्ति से संबंधित समस्याओं के लिए मोबाइल नंबर 90713-00002 पर सीधे एसपी जसबीर सिंह से संपर्क कर सकते हैं। पटियाला पुलिस ने इस संबंध में पहले ही तीन एफआईआर दर्ज कर ली है।

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