'IPS अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का अधिकार किसका?', हरचरण भुल्लर मामले में हाईकोर्ट ने पूछा सवाल
भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर के मामले में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। अदालत ने पूछा कि एक आईपीएस अधिकार ...और पढ़ें
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हरचरण भुल्लर मामले में हाईकोर्ट ने उठाया सवाल। फोटो फाइल
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर ने करीब एक सप्ताह पहले तर्क दिया था कि सीबीआई केवल चंडीगढ़ में केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायाधीश संजीव बेरी की खंडपीठ ने वीरवार को सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि एक आइपीएस अधिकारी को किसका कर्मचारी माना जाए।
अदालत ने अखिल भारतीय सेवा अधिनियम और संबंधित नियमों को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने की शक्ति रखती है, परंतु अंतिम अधिकार किसका है यह स्पष्ट होना आवश्यक है।
भुल्लर के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता पंजाब कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं, इसलिए किसी भी कार्रवाई के लिए सक्षम प्राधिकारी पंजाब ही है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आईएएस अधिकारियों के मामलों में भी पंजाब सरकार से ही स्वीकृति भेजने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। जिस सेवा से अधिकारी संबंधित है, उसी प्राधिकारी से संस्तुति लेनी होती है।
सुनवाई में केंद्रीय प्रश्न भी सामने आया, जो पिछली तारीख को उठा था क्या दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट अधिनियम के तहत गठित सीबीआइ, बिना किसी विशेष आदेश के, केंद्र सरकार के कर्मचारियों के अलावा किसी अन्य की जांच कर सकती है?
भुल्लर ने अपनी याचिका में तत्काल रिहाई की मांग करते हुए दावा किया था कि आगे की हिरासत न्याय के उद्देश्यों के लिए घातक होगी। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने भुल्लर को अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया।
अदालत ने कहा कि भुल्लर द्वारा मांगी गई राहत दरअसल अंतिम फैसले जैसी ही है, इसलिए इस चरण पर किसी तरह का अंतरिम आदेश देने का प्रश्न ही नहीं उठता।

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