रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले आर्थिक लाभ रोके, ड्राइवर पहुंचा कोर्ट, चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट के डायरेक्टर और जीएम के जमानती वारंट जारी
चंडीगढ़ जिला अदालत ने पंजाब रोडवेज के ड्राइवर की शिकायत पर परिवहन निदेशक और जीएम के खिलाफ जमानती वारंट जारी किए। ड्राइवर जसवंत सिंह को गलत तरीके से निलंबित किया गया था और सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले लाभ भी रोक दिए गए थे। अदालत ने विभाग को जसवंत के सभी लाभ जारी करने का आदेश दिया है, अन्यथा जिम्मेदार अफसरों की सैलरी अटैच करने की चेतावनी दी है।

ड्राइवर ने जिला अदालत में दायर की हुई है याचिका। जिसपर कोर्ट ने आदेश जारी किए।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ जिला अदालत ने पंजाब रोडवेज के एक ड्राइवर की शिकायत पर डायरेक्टर ट्रांसपोर्ट और जनरल मैनेजर (जीएम) के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिए हैं। पंजाब रोडवेज ने 2014 में ड्राइवर जसवंत सिंह को गलत तरीके से सस्पेंड कर दिया था। कुछ समय बाद उन्हें नौकरी से ही निकाल दिया गया। इसके बाद न तो उन्हें नौकरी पर रखा गया और न ही रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले आर्थिक लाभ दिए।
उन्होंने जिला अदालत में रोडवेज के खिलाफ याचिका दायर की थी। दो साल पहले जिला अदालत ने इस याचिका पर जसवंत के हक में फैसला सुनाया था, लेकिन विभाग ने अभी तक इस आदेश को नहीं माना। ऐसे में अब अदालत ने कहा कि अगर अगली तारीख तक जसवंत को उसके सभी लाभ नहीं दिए गए तो डायरेक्टर ट्रांसपोर्ट की सैलरी को अटैच कर दिया जाएगा। अब मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
याचिकाकर्ता की ओर से केस लड़ने वाले डीआर कैथ ने अदालत में कहा कि जसवंत सिंह ने 26 जून 1997 में पंजाब रोडवेज में बतौर ड्राइवर ज्वाइन किया था। अक्टूबर 2011 को जसवंत बीमार पड़ गए। उनका गांव काफी दूर था जहां सूचना के अधिक साधन उपलब्ध नहीं थे। इसलिए उन्होंने अपनी छुट्टी की अर्जी अपने किसी साथी के जरिए भिजवा दी, लेकिन वह अर्जी विभाग तक पहुंची ही नहीं। इस बीच उनकी मां की तबीयत भी बिगड़ गई। इस कारण वह काफी समय तक छुट्टियाें पर रहे।
विभाग ने 28 फरवरी 2012 को उन्हें चार्जशीट कर दिया। उनके खिलाफ इंक्वायरी शुरू कर दी गई और सितंबर 2014 को उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। इसके बाद दोबारा उन्हें नौकरी पर नहीं रखा गया। ऐसे में उन्होंने पंजाब रोडवेज के खिलाफ जिला अदालत में याचिका दायर कर दी।
अदालत ने जसवंत सिंह के हक में दिया फैसला
21 मार्च 2023 को जिला अदालत ने जसवंत सिंह के हक में फैसला सुनाया था और विभाग को उनके रुके हुए सभी आर्थिक लाभ जारी करने के आदेश दिए थे। विभाग ने यह आदेश नहीं माना तो उन्होंने जिला अदालत में एग्जीक्यूशन पिटीशन दायर कर दी। इस पिटीशन पर अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर अगली तारीख तक आदेश को नहीं माना गया तो जिम्मेदार अफसरों की सेलरी अटैच कर दी जाएगी।

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