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    पंजाब में आईपीएस कैडर के नियमों का उल्लंघन, आपराधिक मामलों वाले अधिकारियों को महत्वपूर्ण पद

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 12:59 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब पुलिस में सुधारों को लेकर पंजाब सरकार और केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि आईपीएस कैडर नियमों का उल्लंघन हो रहा है और आपराधिक मामलों वाले अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया जा रहा है। कोर्ट ने इस मामले में अधिकारियों पर जुर्माना भी लगाया है।

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    पंजाब पुलिस में सुधारों और व्यवस्था में व्याप्त कमियों को दूर करने का मामला।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब पुलिस में सुधारों और व्यवस्था में व्याप्त कमियों को दूर करने के लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार व केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जालंधर निवासी सिमरनजीत सिंह द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि पंजाब में आईपीएस कैडर नियमों का उल्लंघन हो रहा है।

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    पंजाब सरकार द्वारा आईपीएस कैडर पदों पर पीपीएस (पंजाब पुलिस सेवा) अधिकारियों को तैनात किया जा रहा है। इसमें एसएसपी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर पीपीएस अधिकारियों की नियुक्ति के कई उदाहरण दिए गए हैं, जिनमें दलजिंदर सिंह ढिल्लों (एसएसपी पठानकोट), भूपिंदर सिंह (एसएसपी फिरोजपुर), हरविंदर सिंह विर्क (एसएसपी ग्रामीण जालंधर), गुरमीत सिंह (एसएसपी फाजिल्का), जसंदीप सिंह (एसएसपी मोगा) और गगनदीप सिंह (एसएसपी मालेरकोटला) शामिल हैं।

    याचिका में आरोप लगाया गया कि जिन अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं या जिनकी सुनवाई लंबित है, उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया गया है, जहां उनका सीधा जनता से संपर्क होता है। इन अधिकारियों को जांच अधिकारी या पर्यवेक्षक के रूप में भी नियुक्त किया गया है।

    याचिका में उदाहरण देकर बताया गया कि एसपी परमपाल सिंह, जिनके खिलाफ एक फर्जी स्नातक डिग्री के आधार पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज है, को महत्वपूर्ण पद पर तैनात किया गया है। इसके अलावा राजिंदर सिंह सोहल नामक एक अधिकारी को आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बावजूद एसएसपी गुरदासपुर के रूप में तैनात किया गया था।

    हाई कोर्ट ने झूठे हलफनामे और अदालती अवमानना के मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग अग्रवाल को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। याचिका में कोर्ट को बताया गया कि एक मामले में कोर्ट ने कहा था कि जब तक पुलिस सुधारों पर बनी समिति अंतिम फैसला नहीं लेती, तब तक ''नैतिक पतन'' से जुड़े आपराधिक मामलों में आरोपी या दोषी किसी भी पुलिस अधिकारी को सार्वजनिक संपर्क वाले पद पर नहीं रखा जाएगा। उन्हें किसी भी मामले की जांच सौंपी नहीं जाएगी और न ही सतर्कता ब्यूरो में तैनात किया जाएगा।

    याचिका में बताया गया कि हाई कोर्ट ने अपने पिछले आदेशों का पालन करने में लापरवाही और "दयनीय दृष्टिकोण" दिखाने के लिए पुलिस अधिकारियों पर जुर्माना भी लगाया है। इसमें जालंधर के पुलिस आयुक्त, श्री स्वपन शर्मा, पर 1,00,000 का जुर्माना और ग्रामीण लुधियाना के एसएसपी डॉ. अंकुर गुप्ता पर 20,000 का जुर्माना शामिल है।

    याचिका में मांग की गई है कि पंजाब पुलिस अधिनियम और नियमों के अनुसार, कानून-व्यवस्था की स्थिति को संभालने के लिए उपयुक्त और अनुशासित व्यक्तियों को नियुक्त करने का निर्देश दिया जाए।

    आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। सरकारी पदों पर उन व्यक्तियों की नियुक्ति की पात्रता पर सवाल उठाया जाए, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं या जिन्हें दोषी ठहराया जा चुका है।