UTCA की महिला और पुरुष टीमों का प्रदर्शन निराशाजनक, आजतक नहीं जीत सकी एक भी घरेलू टूर्नामेंट
चंडीगढ़ की महिला और पुरुष क्रिकेट टीम आज तक घरेलू टूर्नामेंट का खिताब जितने में कामयाब नहीं हो सकी है। यूटीसीए को मान्यता मिले तीन साल से ज्यादा समय होने को है ऐसे में टीम के प्रदर्शन पर सवाल उठने लाजमी है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। साल 2019 में बीसीसीआइ से यूटी क्रिकेट एसोसिएशन (यूटीसीए) काे मान्यता मिली थी। उसके चंडीगढ़ की क्रिकेट टीम ने कई घरेलू टूर्नामेंट खेले, लेकिन टीमों का प्रदर्शन हमेशा औसतन ही रहा। पिछले साल हुई रणजी ट्राफी और सैय्यद मुश्ताक अली ट्राफी से लेकर विजय हजारे टूर्नामेंट में टीम का प्रदर्शन खराब रहा है।
यह हाल केवल चंडीगढ़ की पुरुष क्रिकेट टीम का नहीं बल्कि महिलाओं की टीम का भी है। महिलाओं की अंडर-19 से लेकर सीनियर क्रिकेट टीम का प्रदर्शन तो पुरुषों के मुकाबले काफी निराशाजनक रहा। अभी चंडीगढ़ की सीनियर महिला टीम आगामी टूर्नामेंट के लिए तैयारियों में जुटी हुई हैं। इसके बाद ही टीम का चयन होगा। वहीं आंध्र प्रदेश में चल रही सीके नायडू ट्राफी में भी चंडीगढ़ अंडर-23 टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। यूटीसीए की तरफ से अभी तक खेले गए घरेलू टूर्नामेंट में टीमों के प्रदर्शन को लेकर कोई समीक्षा तक नहीं की है।
अपने शुरुआती मैचों में यूटीसीए टीम ने जरूर शानदार खेल दिखाया था, लेकिन उसके बाद से टीम के प्रदर्शन का ग्राफ गिरता गया। कई बार तो टीम के चयन पर भी सवाल उठ चुके हैं। यूटीसीए पुरुष सीनियर क्रिकेट टीम के कप्तान मनन वोहरा को छोड़ किसी भी बल्लेबाज बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाया है। हालांकि मोहम्मद असर्लन खान ने यूटीसीए की ओर से अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन पिछले कुछ मैचों से उनका बल्ला भी खामोश है। गेंदबाजों में भी कोई ऐसा गेंदबाज नहीं जो अभी तक अपने गेंदबाजी से छाप छोड़ने में सफल हुआ हो।
हालांकि चंडीगढ़ के दो खिलाड़ी हरनूर सिंह पन्नू और राजअंगद वाबा भारतीय अंडर-19 विश्व कप विजेता टीम के हीरो रहे। दोनों खिलाड़ियों ने टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। विश्व कप के फाइनल में राज अंगद बावा ने गेंदबाजी करते हुए 5 विकेट लेकर टीम को जीत की दहलीज पर पहुंचाया था। वहीं, एक मुकाबले में उन्होंने 162 रन की पारी खेल कर नया रिकार्ड अपने नाम भी किया था।
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