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    Punjab: 'UAPA कानून नागरिकों को उत्पीड़ित करने का जरिया नहीं बनने दिया जाएगा', HC ने पंजाब पुलिस को लगाई फटकार

    By Jagran NewsEdited By: Himani Sharma
    Updated: Thu, 23 Nov 2023 09:22 AM (IST)

    पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम को नागरिकों को उत्पीड़न का जरिया नहीं बनने द ...और पढ़ें

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    यूएपीए कानून नागरिकों को उत्पीड़ितकरने का जरिया नहीं बनने दिया जा सकता: हाईकोर्ट

    राज्य ब्यूरो,चंडीगढ़। जमानत से जुड़े एक मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम को नागरिकों को उत्पीड़न का जरिया नहीं बनने दिया जा सकता। लुधियाना के पुलिस कमिश्नर की मौजूदगी में हाईकोर्ट ने पुलिस के रवैए को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया।

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    पुलिस ने प्रमोद सहित अन्य पर एफआईआर की थी दर्ज

    हत्या के प्रयास को लेकर लुधियाना पुलिस ने प्रमोद सहित अन्य पर एफआईआर दर्ज की थी। बाद में इसमें गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम जोड़ दिया। हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा रवैया अपनाते हुए लुधियाना के पुलिस कमिश्नर को तलब किया था। बुधवार को पुलिस कमिश्नर कोर्ट में मौजूद रहे और हाईकोर्ट ने पूछा कि आखिर क्यों यूएपीए को केस में जोड़ा गया।

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    इस पर अदालत को बताया गया कि कानून के गलत व्याख्यान के चलते यह गलती हुई थी और अब इसमें सुधार करते हुए यूएपीए एक्ट की धाराएं हटा ली हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि पढ़े लिखे और ट्रेंड पुलिसकर्मी सेवाएं दे रहे हैं तो यह चूक आखिर कैसे हुई। इसपर हाईकोर्ट को बताया गया कि आरोपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच आरंभ कर दी गई है।

    पुलिस को यूं ही काम करने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता

    कोर्ट ने कहा कि पुलिस को संवेदनशीलता से काम करना चाहिए और यूएपीए जैसे कानून में तो पुलिस की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस को यूं ही काम करने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। निगरानी बेहद जरूरी है और उच्च अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती है कि वे नियमित तौर पर अपने आधीन कार्य करने वालों से रिपोर्ट लें।

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    आइजी गौतम चीमा की याचिका

    हाईकोर्ट में चुनौती सीबीआइ कोर्ट में चीमा के खिलाफ चल रहे अपहरण के मामले में दाखिल किए चालान के साथ केस डायरी भी लगा दी थी, जिसमें 161 के तहत गवाहों के बयान भी थे। चीमा का कहना है की केस डायरी सबूत नहीं होती, इसलिए इनको न तो सबूत और न ही गवाही ही माना जा सकता है।

    लेकिन सीबीआई कोर्ट ने उनकी इस मांग को खारिज कर दिया था। सीबीआइ कोर्ट के इसी आदेश को गौतम चीमा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिस पर हाईकोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है।