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    मजीठिया की जमानत याचिका पर HC के बैंच का यू टर्न, फैसला सुरक्षित रखने के 33 दिन बाद सुनवाई से किया इन्‍कार

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Tue, 05 Jul 2022 08:54 AM (IST)

    High Court पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के बैंच ने पंजाब के पूर्व मंत्री व शिअद नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की जमानत याचिका पर यूटर्न ले लिया। हाई कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखने के 33 दिन बाद सुनवाई से इन्‍कार कर दिया।

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    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

    राज्य ब्यूरो,चंडीगढ़। High Court : पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को ड्रग्स मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद 31 मई को हाई कोर्ट के बैंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। लेकिन, सोमवार को जस्टिस एजी मसीह व जस्टिस संदीप मौदगिल पर आधारित बैंच ने याचिका पर सुनवाई से ही इन्‍कार कर दिया। बैंच ने यह मामला दूसरे बैंच को देने के लिए केस चीफ जस्टिस को भेज दिया। अब चीफ जस्टिस तय करेंगे कि इस मामले पर कौन सी बैंच सुनवाई करेगी।

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    मामला चीफ़ जस्टिस को रेफर,अन्य जज करेंगे सुनवाई

    इससे पहले 31 मई को बहस के दौरान मजीठिया की और से पेश हुए सीनियर एडवोकेट आरएस चीमा ने कहा कि मजीठिया के खिलाफ दर्ज एफआइआर ही असंवैधानिक है। उनका कहना था कि जब पहले इस मामले में एक एफआइआर दर्ज हो चुकी है और एसआइटी अपनी जांच पूरी कर चुकी है तो मजीठिया व अन्य के खिलाफ उन्हीं आरोपों के तहत दूसरी एफआइआर दर्ज की गई। यह सिर्फ राजनीतिक द्वेष के चलते दर्ज की गई है।

    याचिका के अनुसार एफआइआर में जिन लोगो के नाम शामिल किए गए हैं उन्हें पहली एफआइआर में ट्रायल कोर्ट भगौड़ा घोषित कर चुकी है। ऐसे में दूसरी एफआइआर में उन्हीं लोगों के नाम जोड़ना समझ से परे है | सीनियर एडवोकेट चीमा ने मजीठिया व अन्य पर दर्ज की गई एफआईआर नंबर 30 को रद्द किये जाने की मांग की थी |

    वही, पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल अनमोल रतन सिद्धू व अन्य सीनियर वकील पेश हुए थे। जिन्होंने मजीठिया पर दर्ज एफआईआर को कानूनन सही करार देते हुए कहा कि सरकार ड्रग्स और मनी लांड्रिंग मामले को लेकर गंभीर है।

    पंजाब सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सरकार मजीठिया के खिलाफ आरोपों की नए सिरे से जांच करवाना चाहती है क्योंकि जो एसआइटी या जांच टीम पहले जांच करती रही है वह शिरोोोमणिअकाली दल की सरकार के दबाव में रही और सरकार के इशारे पर रिपोर्ट बनाई गई। चाहे वह ईडी के संयुक्त निदेशक निरंजन सिंह की रिपोर्ट हो या पुलिस की एसआईटी की | सरकार की और से कहा गया कि बिक्रमजीत मजीठिया को जमानत न दी जाए क्योकि जमानत मिलने पर वह गवाहों को प्रभावित कर जांच की दिशा बदल सकते हैं |

    मजीठिया के वकीलों ने कोर्ट से बार बार आग्रह किया कि बैंच दोनों पक्षों को सुन चुका है इसलिए दोबारा बहस भी यही बैंच सुने। इसके लिए वकीलों ने कोर्ट से 11 जुलाई की तारीख भी मांगी लेकिन कोर्ट ने बिना कुछ सुने केस में सुनवाई से इन्‍कार कर दिया ।