रिश्वतखोरी में सजा पाने वाले हेड कॉन्स्टेबल के पक्ष में झूठी गवाही दे फंसी दो महिलाएं, चलेगा मुकदमा
चंडीगढ़ में रिश्वतखोरी के मामले में हेड कॉन्स्टेबल राम कुमार को सात साल की सजा हुई। इस मामले में दो महिलाएं सत्या तिवारी और स्वर्ण कौर भी फंसी हैं जिन्होंने राम कुमार के पक्ष में झूठी गवाही दी थी। अदालत ने उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं क्योंकि उन्होंने पहले शिकायत पर हस्ताक्षर किए थे लेकिन बाद में बचाव पक्ष की गवाह बन गईं।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। दो दिन पहले सीबीआई की विशेष अदालत ने चंडीगढ़ पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल राम कुमार को आठ साल पुराने मामले में दोषी करार देते हुए सात साल की सजा सुनाई है। इस मामले में राम कुमार के साथ दो और महिलाएं बुरी तरह फंस गई हैं।
सीबीआई जज ने राम कुमार के हक में गवाही देने आई दो महिलाओं सत्या तिवारी और स्वर्ण कौर के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। इनके खिलाफ अब अदालत में मुकदमा चलेगा। सीबीआई कोर्ट ने इन दोनों को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस भी जारी कर दिया है जिस पर एक सितंबर को सुनवाई होगी।
दरअसल, राम कुमार के खिलाफ सारंगपुर निवासी अनीता ने शिकायत दी थी और 10 हजार रुपये रिश्वत मांगने के आरोप लगाए थे। अनीता की शिकायत पर सत्या तिवारी ने भी हस्ताक्षर किए थे। वहीं, यह शिकायत स्वर्ण कौर ने लिखी थी। सीबीआई की पूरी प्रक्रिया के दौरान यह दोनों मौजूद थीं। बाद में यह दोनों बचाव पक्ष की तरफ से बतौर पर गवाह पेश हो गईं।
इस दौरान इन्होंने गवाही दी कि हेड कॉन्स्टेबल राम कुमार ने अनीता तिवारी से रिश्वत नहीं मांगी थी। उन्होंने सीबीआई के दबाव में यह शिकायत दी थी। हालांकि क्रास एग्जामिनेशन के दौरान उनका झूठ पकड़ा गया। ऐसे में सीबीआई जज ने कहा कि इन दोनों ने झूठी गवाही दी है, इसलिए इनके खिलाफ जांच की जानी चाहिए।
यह था मामला
सीबीआई ने सारंगपुर निवासी अनीता की शिकायत पर हेड कांस्टेबल राम कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया था। अनीता ने शिकायत में बताया था कि उसका कुछ पारिवारिक कारणों के चलते किसी से झगड़ा चल रहा था। 17 फरवरी 2017 को सारंगपुर थाना पुलिस ने उसके पति शिवनाथ सिंह के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया था।
पुलिसकर्मी उसे भी गिरफ्तार करने की धमकी दे रहे थे। हेड कांस्टेबल राम कुमार ने उसके पति के खिलाफ केस को खत्म करने के लिए 10 हजार रुपये रिश्वत मांगी। अनीता ने परेशान होकर सीबीआई को शिकायत दे दी। सीबीआई ने फिर उसे पकड़ने के लिए 23 मई 2017 को ट्रैप लगाया। रामकुमार ने जैसे ही रिश्वत की रकम पकड़ी, तभी सीबीआई ने उसे दबोच लिया। कई साल केस चलने के बाद सोमवार को अदालत ने राम कुमार को दोषी करार दे दिया था।
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