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    Punjab News: 'परिवार के किसी सदस्‍य का समाध नहीं माना जाएगा पूजा स्‍थल', HC ने दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाकर किया स्‍पष्‍ट

    By Jagran NewsEdited By: Himani Sharma
    Updated: Tue, 12 Dec 2023 06:02 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने यह स्‍पष्‍ट कर दिया है कि परिवार के किसी सदस्‍य का समाध पूजा स्‍थल नहीं माना जाएगा। इसे नष्ट या अपवित्र करना धार्मिक भावनाओं का अपमान करने के बराबर नहीं होगा। मोगा निवासी कृष्णा देवी व अन्य द्वारा दायर याचिका सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने यह आदेश दिए। हाई कोर्ट ने कहा कि यह कोई अपराध नहीं बनता है।

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    निचली अदालत के समन आदेश को रद्द करते हुए हाई कोर्ट ने दिया फैसला

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक मामले में स्पष्ट कर दिया है कि परिवार के किसी सदस्य का समाध (मृतकों की याद में स्मारक) पूजा स्थल नहीं है। इसे नष्ट या अपवित्र करना धार्मिक भावनाओं का अपमान करने के बराबर नहीं होगा। मोगा निवासी कृष्णा देवी व अन्य द्वारा दायर याचिका सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने यह आदेश दिए।

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    परिवार के सदस्‍य का समाध नहीं है पूजा स्‍थल- हाई कोर्ट

    जस्टिस जसजीत सिंह बेदी ने कहा कि समाध को अपवित्र करने से परिवार के सदस्य का अपमान होगा और आरोपित के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 295 (किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल को चोट पहुंचाना या अपवित्र करना) लागू नहीं की जा सकती। अदालत ने कहा परिवार के किसी सदस्य का समाध, किसी वर्ग द्वारा पवित्र माना जाने वाला पूजा स्थल नहीं बन सकता है।

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    अदालत ने कहा किसी भी तरह से यह नहीं माना जा सकता है कि विनाश, क्षति या अपवित्रीकरण एक पीड़ित व्यक्ति के धर्म का अपमान होगा। अदालत ने आईपीसी के विभिन्न परविधान के तहत एक आपराधिक शिकायत और मजिस्ट्रेट द्वारा याचिकाकर्ताओं के खिलाफ पारित समन आदेश को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर फैसला करते हुए यह टिप्पणी की।

    भूमि विवाद को लेकर हुई लड़ाई

    इस मामले में विवाद एक भाई और बहन के बीच था जो 40 कनाल और 8 मरला की जमीन को लेकर कानूनी लड़ाई में उलझे हुए थे। यह जमीन उसके पिता ने बहन को हस्तांतरित कर दी थी। भूमि विवाद को लेकर लड़ाई के बीच, भाई ने 2015 में अपनी बहन और अन्य के खिलाफ एक उनकी जमीन में पूर्वज के समाधों के संबंध में आपराधिक शिकायत भी दर्ज कराई।

    धारा 295 आईपीसी के तहत कोई अपराध नहीं माना जाएगा

    आरोपित के वकील ने अदालत में बताया कि विवाद में भूमि पर कोई अधिकार साबित करने में विफल रहने के बाद भाई द्वारा दुर्भावनापूर्ण इरादे से यह शिकायत दर्ज की गई थी। यह भी दलील दी गई कि बहन ने जमीन से भले ही समाध को नष्ट कर दिया गया हो उसे धारा 295 आईपीसी के तहत कोई अपराध नहीं माना जाएगा।

    दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने कहा कि सिविल मामले में निचली अदालत के संज्ञान में यह बात नहीं लाई गई कि जमीन बहन के कब्जे में थी और समाद भी उसकी जमीन में थी। लगता है भाई ने शिकायत में जानबूझकर इस तथ्य का खुलासा नहीं किया गया।

    याची को समन करने के आदेश को किया रद्द

    हाई कोर्ट ने कहा कि अगर इस तथ्य को निचली अदालत के संज्ञान में लाया गया होता तो समन जारी करने का आदेश जारी होने की संभावना नहीं होती। हाई कोर्ट ने कहा कि यह निष्कर्ष निकलता है कि यह कोई अपराध नहीं बनता है। ये प्राविधान दंगा करने और गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने के अपराधों से संबंधित हैं।

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    अदालत ने कहा कि यह कोई अपराध नहीं बनता है क्योंकि समाध को पूजा स्थल के बराबर नहीं माना जा सकता है। हाई कोर्ट ने कहा कि शिकायत में कार्यवाही कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग के अलावा कुछ नहीं थी। इसी के साथ हाई कोर्ट ने शिकायत को व निचली अदालत द्वारा याची को समन करने के आदेश को रद्द कर दिया।

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