गुड़िया मर्डर केस : सूरज की मौत के तीन आरोपितों ने शिमला जेल में भेजे जाने की लगाई याचिका Chandigarh News
सीबीआई की स्पेशल अदालत में याचिका दायर कर उन्होंने वापस शिमला जेल में भेजने के लिए अपील की है। मामले की अगली सुनवाई अब 7 अगस्त को होगी।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित गुड़िया मर्डर केस में आरोपित सूरज की पुलिस कस्टडी में हुई मौत मामले में नौ आरोपितों में से तीन ने जिला अदालत में याचिका दायर की है। याचिका दायर करने वाले कोटखाई के पूर्व एसएचओ राजिंद्र सिंह, हेड कांस्टेबल रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रंजीत है। तीनों आरोपितों ने सीबीआइ की स्पेशल अदालत में याचिका दायर कर उन्हें वापस शिमला जेल में भेजने के लिए अपील की है। मामले की अगली सुनवाई अब सात अगस्त को होगी।
दायर याचिका में उन्होंने कहा है कि वे सभी हिमाचल पुलिस में तैनात थे। घटना वाले दिन ड्यूटी पर थे। उन्हें मामले में फंसा कर शिमला जेल में डाल दिया गया। जब केस सीबीआइ को ट्रांसफर किया गया तो उस समय भी आरोपितों को जांच के लिए शिमला जेल में ही रखा गया था। एक जुलाई, 2019 को पेशी के दौरान आरोपित अदालत में पेश हुए। दो गवाहों का क्रॉस एग्जामिनेशन होने के बाद बुड़ैल जेल में भेजने के आदेश जारी किए गए। इसके बारे में उन्हें कुछ भी पता नहीं चला और उन्हें बुड़ैल जेल भेज दिया गया। इस संबंध में वह अदालत में अपनी बात नहीं रख सके। याचिका में कहा गया है कि वह गरीब परिवार से संबंध रखते हैं। उनके परिवार वालों के लिए बार-बार पैसे खर्च कर जिला अदालत, चंडीगढ़ में आना मुश्किल है। अगर उन्हें शिमला जेल में भेज दिया जाता है तो वह तय समय पर अदालत में पहुंच जाएंगे।
शिमला में नहीं मिला वकील तो चंडीगढ़ सीबीआइ कोर्ट में ट्रांसफर हुआ केस
सूरज सिंह नाम के आरोपित को गुड़िया मर्डर केस में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन पुलिस कस्टडी में उसकी मौत हो गई थी। इस केस में सीबीआइ ने आइजीपी जाहुर एच जैदी, एसपी डीबडब्ल्यू नेगी, ठयोग डीएसपी मनोज जोशी, कोटखाई के पूर्व एसएचओ राजिंदर सिंह, एएसआइ दीप चंद, हेड कांस्टेबल सूरत सिंह, मोहन लाल, रफिक अली और कांस्टेबल रंजीत कुल नौ लोगों को आरोपित बनाया है। इन आरोपितों के खिलाफ केस शिमला की सीबीआई कोर्ट में चल रहा था। लेकिन वहां इनकी तरफ से कोई वकील पेश नहीं हुआ। जिसकी वजह से इन्होंने केस को ट्रांसफर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी। सुप्रीम कोर्ट ने केस को चंडीगढ़ ट्रांसफर करने के आदेश दिए थे।
पूरा मामला
बता दें कि 4 जुलाई 2017 को कोटखाई के एक स्कूल की छात्रा अचानक लापता हो जाती है। पुलिस तलाश और अन्य कार्रवाई के दौरान लापता होने के दो दिन बाद जंगल से छात्रा का शव बरामद हुआ। जिसके बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म के बाद हत्या की पुष्टि हुई थी। मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने आइजी जैदी की अगुआई में एसआइटी बनाई थी। एसआइटी ने केस को सुलझाने का दावा करते हुए एक स्थानीय युवक और पांच मजदूरों को गिरफ्तार किया, जिनमें नेपाली मूल के सूरज नामक एक युवक भी था। लेकिन कोटखाई थाने में जुलाई 2017 की रात को सूरज की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। पुलिस ने पहले तो ये कहानी बनाई कि सूरज की कस्टडी में उसी के साथी के साथ लड़ाई हो गई थी जिस कारण उसकी मौत हुई। लेकिन सीबीआई जांच में सामने आया कि पुलिस के टॉर्चर से ही सूरज की मौत हुई थी।
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