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    Punjab News: प्रवासी भारतीयों के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर लगेगी रोक, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला

    Updated: Thu, 01 Feb 2024 10:30 PM (IST)

    पंजाब में प्रवासी भारतीयों के खिलाफ लगातार अपराध बढ़ने के मामले सामने आ रहे हैं। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने आरोपियों की जमानत याचिका खारिज करते हुए प्रवासी भारतीयों के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर चिंता जताते हुए याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि एनआरआई के खिलाफ तेजी से बढ़ते आपराधिक मामलों पर तुरंत लगाम लगाना जरूरी है।

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    पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। धोखाधड़ी के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने आरोपियों की जमानत याचिका खारिज करते हुए प्रवासी भारतीयों के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर चिंता जताई है। हाईकोर्ट ने कहा कि एनआरआई के खिलाफ तेजी से बढ़ते आपराधिक मामलों पर तुरंत लगाम लगाना जरूरी है।

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    जालंधर निवासी ने की थी जमानत की अपील

    हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए जालंधर निवासी शिव कुमार व सर्भजीत कौर ने 21 नवंबर 2023 को आईपीसी की विभिन्न धाराओं में अग्रिम जमानत देने की अपील की थी।

    याचिका दाखिल करते हुए उन्होंने बताया कि जिस संपत्ति को लेकर विवाद है उसके सौदे के लिए उन्होंने 7 लाख रुपये का एनआरआई प्यारा सिंह केपावर ऑफ अटॉर्नी धारक बिक्रम सिंह दिए थे। इसके साथ ही यदि यह मान भी लिया जाए कि यह भुगतान नहीं किया गया तो भी यह सिविल विवाद है और एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती।

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    पावर ऑफ अटॉर्नी धारक के रूप में सौंपा गया था कब्‍जा

    शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि शिव कुमार व सर्भजीत कौर सहमति संबंध में प्यारा सिंह के मकान में 2011 से रह रहे थे। इसके लिए 2 हजार रुपये किराया तय हुआ था जिसका उन्होंने भुगतान नहीं किया। इसके बाद उन्हें मकान से निकालने केलिए 2016 से शिकायतकर्ता अदालतों के चक्कर लगा रहा था और अंतत: 2023 को मकान का कब्जा प्यारा सिंह के पावर ऑफ अटॉर्नी धारक के रूप में उसे सौंपा गया था।

    इसके बाद जून 2023 में फर्जी कागजों के आधार पर याचिकाकर्ताओं ने जबरन घर पर कब्जा कर लिया। एग्रीमेंट टू सेल पर शिकायतकर्ता के फर्जी हस्ताक्षर हैं और उसने याचिकाकर्ताओं से कोई पैसा नहीं लिया।

    शिकायतकर्ता ने दस्‍तावेज पर हस्‍ताक्षर करने से किया इनकार

    हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि जिस किराएदार से लंबी कानूनी लड़ाई लड़कर मकान खाली करवाया गया हो उसके तुरंत बाद उन्हें मकान बेचने के लिए एग्रीमेंट समझ के बाहर है। इसके साथ ही शिकायतकर्ता इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर से साफ इनकार कर रहा है।

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    भले ही याचिकार्ताओं से हिरासत में पूछताछ जरूरी नहीं हो तो भी यह अग्रिम जमानत का आधार नहीं हो सकता। हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि लगातार एनआरआई के खिलाफ अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है जो चिंता का विषय है और इसे तुरंत रोकना जरूरी है।