चंडीगढ़ में SC आरक्षण का लाभ लेने के लिए यहां के स्कूल से पढ़ाई कोई आधार नहीं : हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर कोई छात्र दसवीं या बारहवीं चंडीगढ़ के स्कूल से पास करता है तो वह इस आधार पर चंडीगढ़ पूल में रिजर्व श्रेणी में आरक्षण की माग नहीं कर सकता।
चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। अगर आप आरक्षित वर्ग से हैं, पढ़ाई चंडीगढ़ के स्कूल से की है और आप चंडीगढ़ के किसी संस्थान में प्रवेश लेने की इच्छा रखते हैं तो आप केवल सामान्य श्रेणी के लिए प्रवेश के लिए हकदार हैं। आप चाहे किसी भी आरक्षित वर्ग से हों लेकिन आपको चंडीगढ़ पूल के लिए आरक्षित सीट में प्रवेश की इजाजत नही है। इस पर हाई कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर कोई छात्र दसवीं या बारहवीं चंडीगढ़ के स्कूल से पास करता है तो वह इस आधार पर चंडीगढ़ पूल में रिजर्व श्रेणी में आरक्षण की माग नहीं कर सकता। हाई कोर्ट ने यह आदेश एक छात्र अक्षय कुमार की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।
अक्षय मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं। वे अनुसूचित जाति से हैं और उनके पास हिमाचल सरकार के जिला कागड़ा से जारी प्रमाण पत्र थे। याची ने चंडीगढ़ के सेक्टर-32 स्थित जीएमसीएच में एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन किया था। नीट में उन्होंने 92.78 अंक प्राप्त किए थे। याची ने अपना आवेदन एससी वर्ग के लिए आरक्षित सीट के लिया किया था। लेकिन जीएमसीएच ने उनका आवेदन एससी वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर खारिज कर दिया। प्रशासन ने अपने नियमों का हवाला दिया कि जो छात्र चंडीगढ़ से एससी का आरक्षण लेना चाहता है, उसके लिए चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा जारी एससी प्रमाण पत्र होना चाहिए जबकि याची के पास हिमाचल सरकार द्वारा जारी एससी का प्रमाण पत्र है।
मामले की सुनवाई के दौरान याची के वकील ने कोर्ट को बताया कि याची ने कक्षा 10वीं से लेकर 12वीं तक की शिक्षा चंडीगढ़ के केंद्रीय स्कूल से प्राप्त की है। ऐसे में याची को अधिकार है कि उसे चंडीगढ़ में आरक्षित वर्ग में प्रवेश दिया जाए। सुनवाई के दौरान प्रशासन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के एक फैसले का हवाला देकर बताया गया कि मैरी चंद्र केस में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया था कि एससी व एसटी वर्ग केवल अपने मूल राज्य में ही आरक्षण के हकदार हैं। हाई कोर्ट ने प्रशासन के वकील को सुनने के बाद याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट साफ कह चुका है कि एससी व एसटी वर्ग केवल अपने मूल राज्य में ही आरक्षण का हकदार है, ऐसे में हाई कोर्ट इस मामले में याची को कोई राहत नहीं दे सकता और इसके साथ याचिका को खारिज कर दिया।
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