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    कार की टक्कर लगने के बाद दिव्यांग हुए युवक को मिलेगा 22.43 लाख मुआवजा

    By Ravi Atwal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Fri, 22 Aug 2025 06:12 PM (IST)

    चंडीगढ़ मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने सात साल पुराने मामले में कृष्ण कुमार को 22.43 लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया। 2018 में एक सड़क हादसे में कृष्ण कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उन्हें 60% विकलांगता का सामना करना पड़ा था जिसके बाद ट्रिब्यूनल ने उन्हें 100% दिव्यांग माना। अदालत ने बीमा कंपनी को मुआवजा भरने का आदेश दिया।

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    तेज रफ्तार कार की टक्कर लगने के बाद दिव्यांग हुआ था युवक।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हरियाणा के नारायणगढ़ के रहने वाले कृष्ण कुमार को सात साल पुराने सड़क हादसे के मामले में चंडीगढ़ जिला अदालत से बड़ी राहत मिली है। मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने कृष्ण कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए उन्हें 22.43 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने का फैसला सुनाया है। मुआवजे की रकम आरोपित कार चालक की इंश्योरेंस कंपनी को भरनी पड़ेगी।

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    कृष्ण का केस लड़ने वाले एडवोकेट सुनील के. दीक्षित ने कहा कि आठ साल पहले कृष्ण कुमार एक गंभीर सड़क हादसे का शिकार हो गए थे। इस हादसे ने उन्हें पूरी तरह दिव्यांग बना दिया और अब वह ड्राइविंग करने में असमर्थ हो गए। उसी आधार पर ट्रिब्यूनल ने उनके हक में फैसला सुनाया। 

    सात साल पुराना है मामला...

    मामला 15 जून 2018 का है। कृष्ण कुमार अपनी बाइक से शिमला से आगे रामपुर बुशहर किसी जरूरी काम से आए थे। रास्ते में एक तेज रफ्तार और लापरवाही से आती कार ने उन्हें टक्कर मार दी। कार चालक नितीश कुमार हादसे के बाद मौके से भाग गया, लेकिन एक किलोमीटर आगे जाकर उसकी कार सड़क किनारे से टकरा गई और वह भी जख्मी हो गया। दोनों को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया।

    वहीं, हादसे में कृष्ण कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए और डाक्टरों ने उन्हें 60 प्रतिशत विकलांगता का शिकार बताया। हालांकि अब वह ड्राइविंग का काम नहीं कर सकते, इसलिए ट्रिब्यूनल ने उन्हें 100 प्रतिशत दिव्यांग माना।

    इंश्योरेंस कंपनी की दलीलें नहीं मानी

    कृष्ण कुमार ने दावा किया था कि वह चालक के रूप में 20,000 रुपये मासिक कमाते थे, लेकिन इसका कोई सबूत पेश नहीं कर सके। इसके बावजूद कोर्ट ने चिकित्सकीय रिपोर्ट और गवाहों के आधार पर उनके हक में फैसला सुनाया।

    वहीं, बीमा कंपनी न्यू इंडिया इंश्योरेंस लिमिटेड ने इस याचिका को खारिज करने की मांग की थी, लेकिन उनकी दलीलों को ट्रिब्यूनल ने स्वीकार नहीं किया और कंपनी को 22.43 लाख रुपये मुआवजा अदा करने का आदेश दिया।