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    गिरफ्तारी न वारंट और न भगोड़ा घोषित, पेश कर दी अधूरी चार्जशीट, चंडीगढ़ पुलिस को कोर्ट की फटकार

    By Ravi Atwal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Thu, 14 Aug 2025 07:50 PM (IST)

    नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में बिना आरोपित की गिरफ्तारी के ही चंडीगढ़ पुलिस ने अदालत में पेश चार्जशीट कर दी। इस पर कोर्ट ने जताई नाराजगी जताई और फटकार लगाई। अदालत ने जांच अधिकारी को केस की फाइल लौटाई । कोर्ट ने कहा कि पहले इस केस की जांच पूरी करो।

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    जज ने स्पष्ट किया कि बीएनएसएस की धारा 193 का मतलब यह नहीं है कि अधूरी चार्जशीट पेश कर दें।

    रवि अटवाल, चंडीगढ़। नाबालिग से दुष्कर्म जैसे गंभीर मामले में हुई एक चूक के कारण जिला अदालत ने पुलिस विभाग को फटकार लगाई। जज ने यहां तक कह दिया कि पुलिस के उच्चाधिकारी नए कानून को समझने में गलती कर रहे हैं। दरअसल, पुलिस ने पाक्सो एक्ट से जुड़े एक मामले में जल्दबाजी करते हुए बिना आरोपित की गिरफ्तारी के जिला अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी।

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    पुलिस ने दो महीने पहले हरियाणा के जींद निवासी एक शख्स के खिलाफ दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। आरोपित पुलिस की पकड़ में नहीं आया और पहले ही फरार हो गया। पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए रेड तो की, लेकिन जब वह नहीं मिला तो उसके खिलाफ अदालत में चार्जशीट पेश कर दी।

    इस पर फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्पेशल जज डा.यशिका ने जांच अधिकारी से सवाल किया कि ऐसी क्या परिस्थितियां थी कि पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार किए बिना चार्जशीट पेश कर दी। जज ने स्पष्ट किया कि पुलिस को आरोपित को गिरफ्तार करना तो दूर, उसके खिलाफ नान-बेलेबल वारंट तक जारी नहीं किए और न ही उसे भगोड़ा घोषित किया। पुलिस ने केस में जांच पूरी भी नहीं की और अदालत में फाइनल रिपोर्ट जमा कर दी।

    इस जवाब पर फंसा जांच अधिकारी

    जज के पूछने पर जांच अधिकारी ने जवाब दिया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 193 (बीएनएसएस) के तहत यह रिपोर्ट पेश की गई है। बीएनएसएस की धारा 193 के तहत दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट से जुड़े केसों की फाइल को दो माह से ज्यादा लंबित नहीं रखा जा सकता। जांच अधिकारी ने कहा कि यह चार्जशीट डायरेक्टर प्रासिक्यूशन की मंजूरी के बाद ही पेश की गई है।

    कोर्ट ने कहा- नए कानून को समझने में त्रुटि कर रहे

    इस पर अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी और पुलिस के उच्चाधिकारी नए कानून को समझने में त्रुटि कर रहे हैं। जज ने स्पष्ट किया कि बीएनएसएस की धारा 193 का मतलब यह नहीं है कि बिना जांच पूरी किए आधी-अधूरी चार्जशीट ही कोर्ट में पेश कर दी जाए। ऐसे में जज ने चार्जशीट को नामंजूर करते हुए फाइल जांच अधिकारी को लौटा दी।

    वारदात के बाद से फरार आरोपित

    पुलिस ने पीड़िता के पिता की शिकायत पर केस दर्ज किया था। उसने बताया था कि उसकी 15 साल की बेटी सात जून को लापता हो गई थी। 13 जून को बेटी घर आ गई और उसने अपनी आपबीती बता दी। पुलिस ने बच्ची के बीएनएसएस की धारा 183 के तहत बयान दर्ज किए। उसकी काउंसलिंग भी करवाई गई।

    पुलिस ने 15 जून को भारतीय न्याय संहिता की धारा 65, 87 और पाक्सो एक्ट की धारा-6 के तहत नवीन नाम के आरोपित के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली। पुलिस ने आरोपित के जींद स्थित घर पर रेड भी मारी, लेकिन वह मिला नहीं। ऐसे में पुलिस ने उसे पकड़े बिना ही चार्जशीट तैयार दी।