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    Punjab Congress: बाजवा ने बेटे को नौकरी के ऑफर को लौटाने के बाद बिट्टू के भाई का मामला भी उठा

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Fri, 25 Jun 2021 01:39 PM (IST)

    Punjab Congress पंजाब के दो कांग्रेस विधायकाें के बेटाें को नौकरी देने का मामला शांत हाेता नहीं दिखाई दे रहा है। विधायक फतेह जंग बाजवा द्वारा बेटे को ...और पढ़ें

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    पंजाब के कांग्रेस सांसद रवन‍ीत सिंह बिट्टू की फाइल फोटो।

    चंडीगढ़, जेएनएन। Punjab Congress: कांग्रेस के विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा ने अपने बेटे अर्जुन बाजवा को अनुकंपा के आधार पर दी जा रही नौकरी का ऑफर लौटाने के बाद से एक बार फिर से सांसद रवनीत बिट्टू के भाई और पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते गुरइकबाल सिंह को अनुकम्पा के आधार पर डीएसपी पद पर नियुक्त किए जाने का मामला उठ गया है। गुरइकबाल सिंह को भी अनुकंपा के आधार पर डीएसपी बनाया गया था। उनकी नियुक्ति को भी तरनतारन के प्रवीण कुमार ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है। उनके वकील आरएस बैंस और लवनीत ठाकुर ने इस नियुक्ति को गलत बताया है।

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    सांसद बिट्टू अपने भाई को नौकरी देने के मामले में चुप हैं

    पिछले साल हाई कोर्ट के जस्टिस आर.के. जैन ने इस नियुक्ति के खिलाफ पंजाब सरकार और पीपीएससी को नोटिस जारी किया हुआ है। आरोप है कि सरकार ने बेअंत सिंह के पोते गुरइकबाल सिंह को डीएसपी पद पर नियुक्त करने के लिए नियमों का उलंघन किया है। एक तो इस पद पर नियुक्ति के लिए अधिकतम आयु 28 वर्ष तय की हुई है। लेकिन, गुरइकबाल सिंह को इस पद पर नियुक्त किया गया था तब उसकी आयु 28 वर्ष से अधिक हो चुकी थी। वहीँ सरकार ने गुरइकबाल सिंह को अनुकम्पा के आधार पर इस पद पर नियुक्त किया है क्योंकि उनके दादा बेअंत सिंह की आतंकवाद के दौरान हत्या हुई थी जिसे बीस साल से ज्यादा हो चुके हैं।

    इसी आधार पर फतेहजंग बाजवा के बेटे अर्जुन बाजवा को इंस्पेक्टर के पद पर लगाने का एजेंडा कैबिनेट ने पिछले हफ्ते ही पास किया था। इसको लेकर पार्टी के बाहर ही नहीं बल्कि अंदर भी बहस छिड़ी हुई है, लेकिन इस मामले में सांसद रवनीत बिट्टू बिल्कुल चुप हैं। आमतौर पर वह सरकार से जुड़े हर फैसले कटाक्ष करते हैं।

    वह वीडियो बनाकर कभी कभार तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमला करने से भी नहीं चूकते लेकिन इस मामले में वह बिल्कुल चुप हैं। हालांकि पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ और पांच मंत्रियों तक ने इसका खुलकर विरोध किया है। साफ है कि अब जब बिट्टू के अपने घर का मसला आया है तो उन्होंने चुपी साध ली है।