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    निलंबित DIG भुल्लर की याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्र से किया रिकॉर्ड तलब, गिरफ्तारी पर CBI को क्यों लगाई फटकार?

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 08:03 AM (IST)

    रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर की याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा है कि किस आधार पर सीबीआई ने भुल्लर को गिरफ्तार किया, जबकि चंडीगढ़ एक केंद्र शासित प्रदेश है। भुल्लर का कहना है कि राज्य सरकार की अनुमति के बिना सीबीआई उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकती। मामले की अगली सुनवाई दिसंबर में होगी।

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    निलंबित डीआइजी भुल्लर की याचिका पर हाई कोर्ट ने केंद्र से किया रिकॉर्ड तलब (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। रिश्वत कांड और आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआइ की ओर से गिरफ्तार रोपड़ रेंज के निलंबित डीआइजी हरचरण सिंह भुल्लर की ओर से दाखिल याचिका पर बुधवार को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।

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    हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पर आधारित बेंच ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट की धारा 5 और 51 के तहत जारी किसी आदेश का रिकॉर्ड अदालत के समक्ष प्रस्तुत करे ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि चंडीगढ़ में राज्य कर्मचारियों पर केंद्रीय एजेंसी को अधिकार देने का कोई वैध प्रविधान अथवा आदेश बना भी है या नहीं।

    इस मामले की अगली सुनवाई दिसंबर के पहले सप्ताह तक स्थगित कर दी। याचिकाकर्ता के वकील ने सुनवाई को दौरान अदलात को बताया कि दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट की धारा 5 के तहत केंद्र सरकार केवल उन्हीं राज्यों या क्षेत्रों में जांच अधिकारों का विस्तार कर सकती है, जो न तो यूनियन टेरिटरी हों और न ही रेलवे क्षेत्र।

    चंडीगढ़, जोकि पंजाब व हरियाणा दोनों की संयुक्त राजधानी होते हुए भी एक यूनियन टेरिटरी है, इस पाबंदी के दायरे में नहीं आता। भुल्लर ने सीबीआइ द्वारा की गई कार्रवाई को गैर-कानूनी बताते हुए कहा कि वह पंजाब में तैनात अधिकारी हैं, ऐसे में दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट, 1946 की धारा 6 के तहत सीबीआइ को पंजाब सरकार से अनुमति लेनी अनिवार्य थी।

    बिना राज्य की सहमति उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज नहीं की जा सकती थी और न ही उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता था। यह भी दावा किया कि उनसे जुड़े जिस 2023 के मामले में गिरफ्तारी हुई, वह पंजाब के सरहिंद थाने से जुड़ा है।

    सीबीआइ चंडीगढ़ को इस मामले में एफआइआर दर्ज करने का अधिकार नहीं था। उनका कहना है कि जो सामान चंडीगढ़ से बरामद बताया गया, वह उनके कब्जे से नहीं मिला।

    याचिका में एक और अहम बिंदु यह है कि उसी कथित अपराध में पंजाब विजिलेंस ब्यूरो पहले ही एफआइआर दर्ज कर चुका था। एक ही अपराध में दो एफआइआर दर्ज नहीं की जा सकतीं और दोनों मामलों में केवल आधे घंटे का अंतर है, जिससे पूरे मामले पर सवाल उठता है।