चंडीगढ़ पुलिस की गवाही पर अदालत ने नहीं जताया भरोसा, सड़क हादसे का आरोपित बरी
चंडीगढ़ की जिला अदालत ने चार साल पहले सेक्टर-20 में हुए सड़क हादसे के मामले में आरोपित कार चालक को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया। अदालत ने पुलिसकर्मियों की गवाही पर भरोसा करने से इन्कार कर दिया क्योंकि उनकी गवाही में विरोधाभास था। यह मामला 2021 का है जिसमें एक व्यक्ति की कार की टक्कर से मौत हो गई थी।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। जिला अदालत ने पुलिसकर्मियों की गवाही पर भरोसा न जताते हुए सड़क हादसे के आरोपित को बरी कर दिया। चार साल पहले सेक्टर-20 में एक भीषण सड़क हादसा हुआ था। कार की टक्कर से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। चार साल केस चलने के बाद जिला अदालत ने इस मामले में आरोपित शख्स को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
बरी होने वाला शख्स नारायणगढ़ निवासी अमित कुमार है। पुलिस ने उसके खिलाफ सेक्टर-34 थाने के कांस्टेबल जोगिंदर सिंह की शिकायत के आधार पर केस दर्ज किया था। कांस्टेबल जोगिंदर के अलावा पुलिस के ही एक वालंटियर बलराज को भी इस केस में चश्मदीद गवाह बनाया गया था, लेकिन अदालत ने दोनों की ही गवाही पर भरोसा करने से इन्कार कर दिया।
जज ने कहा कि एक तरफ तो दोनों ने गवाही दी कि यह हादसा आरोपित की लापरवाही से हुआ, दूसरी तरफ क्रास एग्जामिनेशन में यह कह रहे हैं कि हादसा इनके सामने नहीं हुआ था। वह एक्सीडेंट के बाद मौके पर पहुंचे थे। ऐसे में दोनों की गवाही पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
इस आधार पर अदालत ने अमित कुमार को बरी कर दिया। वहीं, अमित का केस लड़ने वाले एडवोकेट संदीप गुज्जर ने कहा कि पुलिस ने उसे फंसाने के लिए झूठा केस तैयार किया था। उसकी गाड़ी से तो ऐसा कोई हादसा हुआ भी नहीं था।
यह था मामला
केस के मुताबिक कांस्टेबल जोगिंदर और वालंटियर बलराज दो सितंबर 2021 को नाइट पेट्रोलिंग ड्यूटी पर तैनात थे। जब वह सेक्टर-33 की तरफ थे तो उन्होंने सड़क की दूसरी ओर सेक्टर-20 की तरफ से कुछ आवाज सुनी। वे दोनों मौके पर पहुंचे तो देखा कि एक व्यक्ति सड़क पर घायल पड़ा था।
पास ही एक कार खड़ी थी जिसका ड्राइवर बाहर आया। उसने अपना नाम अमित कुमार बताया। तभी पीसीआर भी आ गई और घायल को अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन उसकी मौत हो गई। पुलिस ने अमित को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ केस दर्ज कर लिया था।
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