चंडीगढ़ नगर निगम में खींचतान, मेयर ने प्रशासक को लिखा पत्र, विपक्षी पार्षदों ने जताई कड़ी आपत्ति, पढ़ें पूरा मामला
चंडीगढ़ नगर निगम की बैठक में हंगामे के बाद मेयर हरप्रीत कौर बबला ने विपक्षी पार्षदों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने पार्षदों पर विकास कार्यों में बाधा डालने सदन की गरिमा का अपमान करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। विपक्षी दलों ने मेयर के आरोपों को निराधार बताया है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। नगर निगम की 30 सितंबर को हुई सदन की बैठक में हंगामे के बाद मेयर हरप्रीत कौर बबला ने प्रशासक गुलाब चंद कटारिया को पत्र लिखकर कड़ी आपत्ति जताई है। पत्र में उन्होंने चार विपक्षी पार्षदों पर अनाचार, घोर अवरोध और अभूतपूर्व असभ्यता का आरोप लगाते हुए तत्काल कड़ी कार्रवाई की मांग की है। मेयर ने इस घटना को लोकतांत्रिक संस्था की गरिमा पर सीधा हमला करार दिया है। विपक्ष ने इस पत्र पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे आवाज दबाने की कोशिश बताया है।
मेयर ने कहा कि 354वीं सदन की आम बैठक में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के पार्षदों ने विकासात्मक एजेंडे पर चर्चा को घंटों बाधित कर दिया। मेयर हरप्रीत बबला ने चिट्ठी में बताया कि सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर सिंह बंटी (कांग्रेस), डिप्टी मेयर तरुणा मेहता (कांग्रेस), आप पार्षद प्रेम लता और कांग्रेस पार्षद सचिन गालव ने बैठक के मिनट्स की प्रतियों को फाड़ा, एजेंडे की प्रतियां मेयर के डेस्क पर फेंकीं और सदन के अधिकारियों व मार्शलों पर हमला बोला।
इस दौरान सदन में अफरा-तफरी मच गई, जिससे महत्वपूर्ण विकास योजनाओं पर चर्चा पूरी तरह ठप हो गई। पत्र में मेयर ने विस्तार से वर्णन किया कि विपक्षी पार्षदों का यह व्यवहार पूर्वनियोजित और सुनियोजित था जिसका उद्देश्य शहर के नागरिकों के हित में विकास एजेंडे को पटरी से उतारना था। उन्होंने लिखा कि यह घटना नगर निगम सदन की कार्यप्रणाली को कमजोर करने का घिनौना प्रयास था।
पार्षदों ने सदन की गरिमा को तार-तार किया और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान किया। विशेष रूप से सीनियर डिप्टी मेयर बंटी पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने सदन के स्थगन के दौरान सदन के केंद्रीय भाग में समानांतर बैठक आयोजित कर कुर्सी की अवज्ञा की और लोकतंत्र का उपहास उड़ाया। मेयर बबला ने पत्र में राज्यपाल से अपील की है कि इस घटना पर तत्काल संज्ञान लें और दोषी पार्षदों के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई करें।
उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नगर निगम की कार्यक्षमता को बहाल करने और भविष्य में ऐसी अव्यवस्था रोकने के लिए सख्त मिसाल कायम होनी चाहिए। मेयर ने यह भी उल्लेख किया कि इस हंगामे से नागरिकों का नुकसान हुआ है, क्योंकि बैठक में विकास परियोजनाओं पर निर्णय लेना असंभव हो गया।
विपक्ष की पत्र पर तीखी प्रतिक्रिया
मेयर के पत्र पर विपक्षी पार्षदों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि मेयर का पत्र अनुचित है और विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश है। विपक्षी दलों ने दावा किया कि पार्षद मनीमाजरा भूमि घोटाले जैसी अनियमितताओं को उजागर करने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन उन्हें सदन से निष्कासित कर दिया गया। आप के पार्षदों ने भी आरोप लगाया कि भाजपा शासित निगम में पारदर्शिता की कमी है। यह घटना नगर निगम में बढ़ते राजनीतिक तनाव को उजागर करती है, जहां भाजपा, कांग्रेस और आप के बीच लगातार टकराव जारी है।
रिपोर्ट बलवान करिवाल
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