नौसेना भर्ती में अयोग्य घोषित अभ्यर्थी को मिलेगा लाखों का मुआवजा, आखिर हाईकोर्ट ने क्यों दिया ऐसा आदेश?
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भारतीय नौसेना भर्ती में मनमाने ढंग से अयोग्य घोषित किए गए अभ्यर्थी को 2.5 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। अदालत ने भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर बल दिया है। जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने कहा कि उम्मीदवार को बिना कारण अयोग्य घोषित करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता व निष्पक्षता पर बल देते हुए भारतीय नौसेना की भर्ती में मनमाने ढंग से अयोग्य घोषित किए गए एक अभ्यर्थी को 2.5 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि हर भर्ती प्रक्रिया समानता व पारदर्शिता के संवैधानिक सिद्धांतों से बंधी है और उम्मीदवार को बाहर करने का पूरा औचित्य भर्ती एजेंसी पर ही है।
मामला उस उम्मीदवार से जुड़ा है जिसे रिक्रूट के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा (पीएफटी) के चरण में बिना कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था। जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने कहा कि परिणाम पत्र में ऐसा कोई संकेत नहीं था कि उम्मीदवार दौड़, स्क्वैट्स या पुश-अप्स में असफल रहा।
इसके बावजूद उसकी उम्मीदवारी रद कर दी गई जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।अदालत ने माना कि चूंकि अस्वीकृति के सात वर्ष से अधिक बीत चुके हैं और उम्मीदवार अब अधिकतम आयुसीमा पार कर चुका है इसलिए नियुक्ति का अवसर लौटाना संभव नहीं है।
ऐसे में न्याय तभी संतुलित होगा जब उसे उचित मुआवजा दिया जाए। कोर्ट ने तीन महीने के भीतर 2.5 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है, अन्यथा उस पर 6% वार्षिक ब्याज भी लगेगा। जस्टिस भारद्वाज ने कहा कि बुनियादी दस्तावेज छिपाना व कारण न बताना प्रतिवादियों की पारदर्शिता व निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।