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    चंडीगढ़ में सड़कें धंसने का ठीकरा पुराने सीवरेज सिस्टम पर फोड़ा, सब ठीक करने के लिए चाहिए 600 करोड़

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 01:09 PM (IST)

    चंडीगढ़ में सड़कों के धंसने का कारण पुराने सीवरेज सिस्टम को बताया जा रहा है जो 50 साल से अधिक पुराना है और अब 15 लाख लोगों द्वारा उपयोग किया जा रहा है। नगर निगम ने पूरे सीवरेज सिस्टम को बदलने के लिए 600 करोड़ रुपये से अधिक के खर्च का अनुमान लगाया है और प्रशासन को रिपोर्ट भेजी है। पूरे सिस्टम को बदलने की आवश्यकता है।

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    इस बरसात के सीजन में ही 30 से अधिक जगह से सड़कें धंसी हैं।

    बलवान करिवाल, चंडीगढ़। शहर में जगह-जगह सड़क धंसने से हुई लोगों की परेशानी का ठीकरा नगर निगम के अधिकारीगण अब शहर के 50 वर्ष से पुराने सीवरेज सिस्टम पर फोड़ रहे हैं। एक सर्वे रिपोर्ट के हवाले से दावा किया जा रहा है कि तीन से पांच लाख की आबादी के लिए डिजाइन सीवरेज सिस्टम का अब 15 लाख आबादी इस्तेमाल कर रही है। यही वजह है कि इस बरसात के सीजन में ही 30 से अधिक जगह से सड़कें धंसी हैं। पूरे सीवरेज सिस्टम को अपग्रेड करने और बदलने पर 600 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने का अनुमान जताया है और फंड की कमी का रोना भी रोया जा रहा है। प्रशासन से फंड मिले बिना सीवरेज सिस्टम को बदलना संभव नहीं हो सकता। इसलिए प्रशासन को रिपोर्ट भेजी गई है।

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    बदलने के लिए खोदनी पड़ेंगी सड़क

    पूरे शहर का सीवरेज सिस्टम पुराना है। इसको बदलने के लिए सड़कों को खोदना पड़ेगा। रोड बंद होने से ट्रैफिक की गंभीर समस्या हो सकती है। समय भी ज्यादा लगेगा। इस कारण इसे एक साथ नहीं बदला जा सकता। पूरे शहर को अलग-अलग फेज में बांटकर यह कार्य होगा। रिपोर्ट में यह शामिल किया गया है।

    पियरे जेनरे के नेतृत्व में हुआ था निर्माण

    चंडीगढ़ शहर की सीवरेज प्रणाली बहुत पुरानी है। यह शहर के शुरुआती शहरी नियोजन का हिस्सा थी और इसका निर्माण चंडीगढ़ के क्रिएटर ली कार्बूजिए के कजिन आर्किटेक्ट पियरे जेनरे के नेतृत्व में किया गया था। जिसमें बिल्डिंगों के बनने से भी पहले ही सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर की नींव रख दी गई थी।

    बाद में निगम के पास आया सीवरेज सिस्टम

    पहले सीवरेज सिस्टम का कार्य भी प्रशासन के पास ही था। 24 मई 1994 को नगर निगम की स्थापना के बाद सीवरेज का कार्य नगर निगम को स्थानांतरित हो गया। इसके बाद से यह निगम ही संभाल रही है। इस पुरानी प्रणाली को आधुनिक बनाने और सुधारने का काम अटल कायाकल्प एवं शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) योजना के तहत किया गया। 100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए। जिसमें पुरानी लाइन बदलने से मैनहोल मजबूत करने जैसे कार्य हुए। हालांकि इतना काफी नहीं है अब जरूरी पूरे सीवरेज सिस्टम को बदलने की है।

    बरसाती निकासी भी जरूरत अनुसार नहीं

    बरसात के पानी की निकासी भी अब शहर की आबादी को देखते हुए पर्याप्त नहीं है। यही वजह है कि लगातार 100 एमएम बारिश भी शहर झेल नहीं पाता। पूरे शहर में जलभराव हो जाता है। सीवरेज के साथ स्टार्म वाटर लाइन को भी अपग्रेड करने की जरूरत है।