दर्जी की बेटी बनी राजौरी की पहली महिला जज, भावना कैसर ने सुनाई अपनी सफलता की कहानी
जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले की भावना कैसर की सफलता की कहानी प्रेरणादायक है। एक दर्जी के परिवार से होते हुए, उन्होंने न्यायिक सेवाओं की परीक्षा पास की ...और पढ़ें

जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले की भावना कैसर की सफलता की कहानी प्रेरणादायक है (फोटो: जागरण)
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले की रहने वाली भावना कैसर की सफलता संघर्ष और संकल्प की वह कहानी है, जो बताती है कि साधारण परिवारों से निकली बेटियां भी असाधारण ऊंचाइयां छू सकती हैं।
दर्जी का काम करने वाले माता-पिता की यह बेटी पिछले वर्ष न्यायिक सेवाओं की परीक्षा पास कर जिले की पहली महिला जज बनीं। तो पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई। भावना की उम्र अभी 30 वर्ष है।
पियू के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आफ लीगल स्टडीज (यूआईएलएस) में उनकी पढ़ाई ने उनके सपनों को दिशा दी। उन्होंने 2018 में बीए-एलएलबी और 2019 में एलएलबी पूरी की।
उसके बाद 2021 में उन्होंने पियू के विधि विभाग में प्रो. देविंदर सिंह के निर्देशन में ‘भारतीय संविधान के तहत परिसीमन संबंधी कानून, विशेष संदर्भ-जम्मू-कश्मीर’ विषय पर पीएचडी शुरू की।
भावना कहती हैं कि बचपन से ही माता-पिता ने इसमें विश्वास जगाया कि हम जो सुविधाएं दे रहे हैं, उन्हें संभालकर आगे बढ़ना। यही सीख उनके लिए प्रेरणा बन गई। वह बताती हैं कि ‘मुझे डर था कि कहीं शादी के बाद मैं किसी पर निर्भर न हो जाऊं।’
इसलिए दो बैकअप प्लान बनाए एक अध्यापन और दूसरा न्यायिक सेवाएं। उन्होंने एलएलबी के बाद यूजीसी-नेट भी पास किया और जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में रीडर के पद पर भी कार्य किया।
भावना के पिता ने उन्हें सिखाया कि काम में परिपूर्णता से अधिक जरूरी है जुनून और वही जुनून उनके सफर की ताकत बना।
पियू ने सिर्फ अकादमिक मजबूती दी, बल्कि जीवनशैली भी ऐसी जोशी लाइब्रेरी में पढ़ाई के दौरान ही हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के रिवालसर निवासी रूबी चौधरी से मुलाकात हुई। रूबी भी विधि विभाग से पीएचडी कर रहे हैं। इसी साल दोनों विवाह बंधन में बंधे।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।