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    अब पराली जलाने पर होगी गिरफ्तारी, सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश से क्यों टेंशन में आई पंजाब सरकार?

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 12:03 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने वाले किसानों की गिरफ्तारी का आदेश देकर राज्य सरकारों को मुश्किल में डाल दिया है। किसानों की गिरफ्तारी से विरोध का डर सरकार को सता रहा है। हालांकि सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए कई प्रयास किए हैं पर पराली का पूर्ण निस्तारण अभी भी एक चुनौती है। किसान नेता मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

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    सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने वाले किसानों की गिरफ्तारी का आदेश दिया है (प्रतीकात्मक फोटो)

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण का मामला एक बार फिर ज्वलंत हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने वाले किसानों को गिरफ्तार करने का राज्य सरकारों को कड़ा संदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख से प्रदेश सरकार मुश्किल में नजर आ रही है और किसानों की गिरफ्तारी करने से विरोध का डर भी सता रहा है।

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    पिछले वर्ष भी राज्य में पराली जलाने के दस हजार से अधिक मामले सामने आए थे। लगभग दो करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना किया गया था। इसमें से सवा करोड़ रुपये की ही वसूली हो पाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने वाले किसानों की गिरफ्तारी नहीं होने को लेकर सख्त रुख अपनाया है। पंजाब में भले ही किसी पार्टी की सरकार हो, लेकिन वह किसानों की गिरफ्तारी से कन्नी काटती है।

    राज्य में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार बनने के बाद से इस स्थिति में और अधिक वृद्धि हुई जिसका मुख्य कारण यह रहा कि सरकार किसानों से सीधे टकराव नहीं चाहती है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद सरकार की परेशानी बढ़ गई है, क्योंकि पंजाब में 32 से अधिक किसान संगठन हैं।

    तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लगभग एक वर्ष चले किसान आंदोलन के बाद से इन संगठनों को सामाजिक समर्थन भी मिला। इन संगठनों को राजनीतिक समर्थन भी मिलता रहा है। ऐसे में यदि सरकार पराली जलाने वाले किसानों को गिरफ्तार करती है तो किसान संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।

    400 तक पहुंच जाता है एक्यूआइ पंजाब में जलने वाली पराली का असर दिल्ली पर होता है या नहीं, इसका भले ही अभी तक वैज्ञानिक साक्ष्य सामने नहीं आया हो, पर नवंबर में पंजाब का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) का स्तर 400 तक पहुंच जाता है। पिछले वर्ष बठिंडा, मंडी गोबिंदगढ़ व रूपनगर जिले का एक्यूआइ खतरनाक स्तर 400 तक पहुंच गया था। चंडीगढ़ जैसी ग्रीन सिटी में यह स्तर 353 दर्ज किया गया था।

    पराली से कोल पैलेट्स बनाने व कम्प्रेस्ड बायोगैस बनाने का विकल्प है। कोल पैलेट्स को ईंट भट्ठों, ब्वायलर, बिजली उत्पादन में प्रयोग किया जा रहा है, जबकि तीन सीबीजी प्लांट लग चुके हैं। लेकिन यह सभी प्रयास 180 लाख टन पराली के निस्तारण के लिए नाकाफी साबित हो रहे हैं।

    कहीं जिद, कहीं समय का अभाव धान की कटाई के उपरांत पंजाब में 180 लाख टन पराली निकलती है। एक लाख टन पराली के ब्रिक्स बनाकर उसे संभालने में 16 एकड़ जमीन लगती है। वहीं, धान की कटाई के बाद किसानों के पास गेहूं की फसल लगाने के लिए 15 दिन से भी कम समय बचता है।

    इन 15 दिन में किसान को खेत में पानी लगाने से लेकर उसे अगली फसल के लिए तैयार भी करना होता है। कई बार किसान समय कम होने के कारण पराली को आग लगा देता है तो कई बार पराली को एकत्रित करने के लिए आने वाले डीजल का खर्च बचाने के लिए। कभी तो किसान अपनी जिद में भी पराली को आग लगाता है।

    पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई पंजाब सरकार 2018 से लेकर अब तक किसानों को पराली एकत्रित करने की 1,46,500 मशीनें मुहैया करवा चुकी है। पिछले वर्ष भी 500 करोड़ की सब्सिडी से 22,000 सीआरएस मशीनें मुहैया करवाई थीं। इसका असर भी देखा। 2024-25 में पराली जलाने के 10,909 मामले सामने आए थे, जबकि 2023-24 में यह संख्या 36,663 थी।

    डल्लेवाल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी को लेकर करीब 133 दिन तक मरणव्रत पर रहने वाले किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने ही आदेश दिया था कि पंजाब, हरियाणा व यूपी की सरकारें किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल दें ताकि किसान पराली संभालने पर आने वाले खर्च को वहन कर सकें। किसी भी सरकार ने हमें 100 रुपये क्विंटल बोनस नहीं दिया।