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    सुखना वेटलैंड होगी रामसर साइट, वैश्विक मंच पर चंडीगढ़ की पहचान होगी और मजबूत

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 11:38 AM (IST)

    चंडीगढ़ की सुखना वेटलैंड को रामसर साइट का दर्जा मिलने की मंजूरी मिल गई है। इस फैसले से सुखना झील को अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में पहचान मिलेगी जिससे इसके संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। यूटी प्रशासन और विशेषज्ञों ने झील के मौलिक स्वरूप को बनाए रखने जलस्तर को सुरक्षित रखने और गाद निकालने पर जोर दिया है। यह निर्णय चंडीगढ़ के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

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    सुखना वेटलैंड को रामसर साइट का दर्जा मिलना चंडीगढ़ के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। सिटी ब्यूटीफुल की लाइफलाइन सुखना वेटलैंड को रामसर साइट का दर्जा मिलेगा, जिसकी मंजूरी शुक्रवार को चंडीगढ़ स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी की चौथी बैठक में मिली। रामसर कन्वेंशन के तहत 'रामसर साइट' घोषित होने से सुखना लेक को अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता प्राप्त करेगी, जिससे इसके संरक्षण और सतत उपयोग को बढ़ावा मिलेगा, जो जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है। इससे वैश्विक मंच पर चंडीगढ़ की पहचान और मजबूत होगी।

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    यूटी प्रशासक गुलाब चंद कटारिया की अध्यक्षत में हुई बैठक में मुख्य सचिव राजीव वर्मा, गृह सचिव सह वन सचिव मनदीप बराड़, प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून (डब्ल्यूडब्ल्यूआइ) और वर्ल्ड वाइड फंड फाॅर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के विशेषज्ञ मौजूद रहे। इससे पहले सुखना झील को वर्ष 1988 में केंद्र सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय ने राष्ट्रीय वेटलैंड घोषित किया था। इसका कैचमेंट एरिया सुखना वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप में स्थापित है।

    सुखना के पांच वर्षीय एकीकृत प्रबंधन प्लान को मंजूरी

    वन विभाग के सुखना लेक संरक्षण को लेकर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और प्रशासन के अन्य विभागों के सहयोग से तैयार पांच वर्षीय एकीकृत प्रबंधन योजना को भी बैठक में स्वीकृति दी गई। 22.5 करोड़ रुपये की इस योजना में सुखना वेटलैंड के संरक्षण, सुरक्षा और वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए अनेक कार्य शामिल हैं। यह योजना अब केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजी जाएगी, ताकि राष्ट्रीय जलीय पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण योजना के तहत धनराशि उपलब्ध कराई जा सके।

    प्राधिकरण ने सभी विभागों को निर्देश दिए कि सुखना लेक एवं अन्य जलाशयों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। योजना के अनुसार, झील के मौलिक स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इसमें झील का जलस्तर बनाए रखने, जलीय जीवों के संरक्षण और झील परिसर को स्वच्छ रखने जैसे कार्यों पर बल दिया गया है। झील हर साल प्रवासी पक्षियों के लिए भी आश्रय स्थल बनती है।

    गाद निकलेगी बढ़ेगी जल सहेजने की क्षमता

    सुखना लेक जल्दी भर जाती है और सूखती भी जल्द है। इसका मुख्य कारण तलहटी में जमी गाद है। प्रत्येक वर्ष शिवालिक हिल से बरसाती पानी के साथ भूमि कटाव से मिट्टी भी बहकर लेक में आ जाती है। इससे लेक की भंडारण क्षमता घटती गई, जिसे निकालना प्रशासन के लिए चुनौती रहा है।

    विशेषज्ञों का मानना है कि भरी हुई झील से गाद हटाना तकनीकी रूप से बेहद कठिन है। प्रस्तावित योजना में दो विकल्प सुझाए गए हैं पहला यह कि गाद को पानी मौजूद रहते ही निकालना और दूसरा है कि झील की बांध (एम्बैंकमेंट) की ऊंचाई दो फुट बढ़ाना। दूसरा विकल्प अपनाने से झील की जल भंडारण क्षमता लगभग 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।

    पहले भी बढ़ी लेक की ऊंचाई

    वर्ष 2002-03 में झील के किनारों की ऊंचाई दो फुट बढ़ाने का कार्य पहले भी किया गया था। उस समय विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि इस तरह का बदलाव बाढ़ का खतरा बढ़ा सकता है। बावजूद इसके, उस कार्य से झील की जल भंडारण क्षमता लगभग 27 प्रतिशत बढ़ी थी। सुखना लेक का वेटलैंड क्षेत्र लगभग 565 एकड़ और कैचमेंट एरिया करीब 10,395 एकड़ है। प्रस्तावित योजना झील के पारिस्थितिकी तंत्र को और बेहतर बनाने का लक्ष्य भी रखती है।

    क्या है रामसर साइट ?

    -रामसर साइट वह वेटलैंड (आर्द्रभूमि) होती है जिसे अंतरराष्ट्रीय महत्व की श्रेणी में रखा जाता है।

    -इसका नाम 1971 में ईरान के रामसर शहर में हुई अंतरराष्ट्रीय संधि (रामसर कन्वेंशन) पर आधारित है।

    -किसी वेटलैंड को रामसर साइट घोषित किए जाने के बाद उसका संरक्षण और प्रबंधन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार किया जाता है।

    -इससे जैव विविधता, प्रवासी पक्षियों और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा को मजबूती मिलती है।

    भारत की रामसर साइट्स में कुछ प्रमुख के नाम

    -चिलिका झील (ओडिशा) – एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील

    -केओलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) – प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग

    -लोकटक झील (मणिपुर) – तैरते हुए फुमदी द्वीपों के लिए प्रसिद्ध

    -वुलर झील (जम्मू-कश्मीर) – एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील

    -सुल्तानपुर नेशनल पार्क (हरियाणा) – दुर्लभ पक्षियों का घर

    -अष्टमुडी झील (केरल) – बैकवाटर के लिए प्रसिद्ध

    -नंदी सागर (मध्यप्रदेश) और नंदुर मधमेश्वर (महाराष्ट्र) – महत्वपूर्ण पक्षी अभयारण्य

    -इसी सूची में एक नाम चंडीगढ़ सुखना वेटलैंड का भी जुड़ेगा। इससे शहर की पहचान वैश्विक मंच पर और मजबूत होगी।