चंडीगढ़ में सुखना लेक का जलस्तर फिर खतरे के निशान पर, प्रशासन अलर्ट
चंडीगढ़ की सुखना लेक वर्षा के पानी से भरी हुई है। फ्लड गेट कभी भी खोले जा सकते हैं। शिवालिक पहाड़ियों में लगातार वर्षा से सुखना कैचमेंट एरिया से पानी आ रहा है। यूटी प्रशासन पंचकूला और मोहाली प्रशासन अलर्ट पर हैं। सुखना चौ के आसपास के क्षेत्रों में भी अलर्ट जारी किया गया है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ की लाइफलाइन सुखना लेक इन दिनों वर्षा के जल से लबालब है। अगस्त माह में तीन बार फ्लड गेट खोलने के बाद भी सुखना लेक का जलस्तर फिर खतरे के निशान तक पहुंच रहा है। तेज और रिमझिम बारिश में लेक का जलस्तर फिर 1162.5 फीट के आस-पास पहुंच रहा है। इसे खतरे के निशान से ऊपर माना जाता है।
1163 फीट का आंकड़ा छूने से पहले फ्लड गेट खोलने अनिवार्य हो जाते हैं। शिवालिक की पहाड़ियों में लगातार बारिश हो रही है। बारिश का यह पानी सुखना कैचमेंट एरिया से होकर सुखना लेक में पहुंच रहा है। लेक में आ रहे इस पानी को देखते हुए यूटी प्रशासन की टीम अलर्ट पर है। साथ ही पंचकूला और मोाहली प्रशासन को भी अलर्ट भेजा गया है।
इसके अलावा सुखना चौ के आस-पास आबादी एरिया में भी अलर्ट किया गया है। सुखना लेक के फ्लड गेट कभी भी खोले जा सकते हैं। इस वजह से यह अलर्ट किया गया है। लेक के जलस्तर पर सीसीटीवी के जरिए वरिष्ठ अधिकारी भी नजर बनाए हुए हैं। इसकी 24 घंटे निगरानी हो रही है। फ्लड गेट खुलते हैं तो किसी प्रकार जान माल का नुकसान न हो इसलिए सब अलर्ट पर हैं।
फ्लड गेट एकदम पीक प्वाइंट पर पानी पहुंचने से पहले ही खोले जाएंगे। ऐसा इसलिए कि अगर बिल्कुल अंतिम छोर पर पहुंचने के बाद फ्लड गेट खुले तो पानी बड़े स्तर पर छोड़ना पड़ेगा। इससे आगे बापूधाम, इंडस्ट्रियल एरिया और बलटाना पुल से पानी टकराने लगता है।
थोड़े थोड़े फ्लड गेट खोलकर छोड़ा जा रहा पानी
पहले इससे पुल के ऊपर लगी रैलिंग और पानी की पाइपलाइन तक टूट गई थी। साथ ही बलटाना पुलिस चौकी तक बाढ़ के पानी में डूब गई थी। अब एहतियात के तौर पर पानी फ्लड गेट थोड़े थोड़े खोलकर छोड़ा जा रहा है। इसलिए ही अभी तक अगस्त में तीन बार फ्लड गेट खोले जा चुके हैं। हालांकि सुखना लेक के लिए बारिश अधिक होना लाभकारी रहता है।
कई वर्ष पहले 2016 में सुखना लेक का बड़ा हिस्सा बुरी तरह से सूख गया था। बीच में दरारें पड़ गई थी। नौबत यह आ गई थी कि ट्यूबवेलों से पानी लेक में डालना पड़ा। हालांकि इतनी बड़ी लेक में कई ट्यूबवेल चलाने से भी कुछ फर्क नहीं पड़ा।
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