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    वाई पूरन कुमार सुसाइड केस में SIT ने जांच की तेज, IPS संजय कुमार और अमिताभ ढिल्लों के बयान किए दर्ज

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 06:46 PM (IST)

    वाई पूरन कुमार आत्महत्या मामले में एसआईटी ने जांच तेज कर दी है। आईपीएस संजय कुमार और आईपीएस अमिताभ ढिल्लों ने पुलिस मुख्यालय में एसआइटी को बयान दर्ज क ...और पढ़ें

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    वाई पूरन कुमार सुसाइड केस में अब तक 40 लोगों से पूछताछ कर बयान दर्ज किए जा चुके।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार आत्महत्या के मामले में जांच तेज हो गई है। फाइनल नोट में दर्ज नामों के आधार पर एसआईटी अब सभी अधिकारियों के बयान तेजी से दर्ज कर रही है। शुक्रवार को आईपीएस संजय कुमार और आईपीएस अमिताभ ढिल्लों पुलिस मुख्यालय पहुंचे, जहां एसआईटी ने उनके बयान लिए।

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    इससे पहले भी एसआईटी कई वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ कर चुकी है। फाइनल नोट में हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी का नाम भी शामिल है। एसआइटी ने सचिवालय जाकर उनसे मुलाकात की और दस्तावेजों के आधार पर कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे।

    इस घटना को दो महीने से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन एसआईटी अभी तक अदालत में चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई है। सोमवार को एसआईटी ने कोर्ट में पेश होकर देरी के कारणों का विस्तृत ब्योरा दिया था। अब तक 40 लोगों से पूछताछ कर बयान दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें विभागीय कर्मचारी, तकनीकी स्टाफ और स्वतंत्र गवाह शामिल हैं।

    कोर्ट में जानकारी देने के बाद एसआईटी ने जांच की रफ्तार बढ़ा दी है। टीम के कुछ सदस्य रोहतक और चंडीगढ़ में रहकर मामले की जांच को आगे बढ़ा रहे हैं। एसआईटी जल्द ही दोबारा अदालत में पेश होकर जांच की प्रगति रिपोर्ट सौंपेगी।

    फाइनल नोट में थे 15 अधिकारियों के नाम

     सात अक्टूबर की सुबह चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित आवास में वाई पूरन कुमार ने सर्विस रिवाॅल्वर से खुद को गोली मार ली थी। मौके से बरामद फाइनल नोट में उन्होंने अपनी मौत के लिए कई वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था। 

    फाइनल नोट में 15 अधिकारियों के नाम दर्ज थे, जिन पर उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए गए थे। एसआईटी ने सभी को नोटिस जारी कर तलब किया है और लगातार बयान दर्ज किए जा रहे हैं।

    आठ अक्टूबर को उनकी पत्नी, हरियाणा की आईएएस अधिकारी अमनीत पी कुमार, जापान दौरे से लौटीं। उन्होंने आरोपितों की गिरफ्तारी और विभागीय कार्रवाई की मांग करते हुए पोस्टमार्टम करवाने से इनकार कर दिया था। लगभग नौ दिन तक गतिरोध चला। अंततः नौवें दिन पोस्टमार्टम हुआ और अंतिम संस्कार किया गया।