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    हरियाणा में पराली प्रबंधन के प्रयासों ने दिखाया रंग, 95 प्रतिशत घटे फसल अवशेष जलाने के मामले

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 06:23 PM (IST)

    हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के प्रयासों में सफलता मिली है जिसमें 95% की कमी आई है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन किसानों से पराली खरीदेगा जिससे उन्हें आर्थिक लाभ होगा। पराली भंडारण के लिए भूमि की व्यवस्था की जा रही है और नोडल अधिकारियों को तैनात किया गया है। किसानों को पराली प्रबंधन के लिए आवश्यक उपकरण भी मिलेंगे।

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    पराली प्रबंधन के प्रयासों ने दिखाया रंग। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में किसानों को पराली (धान के फसल अवशेष) जलाने से रोकने को लेकर किए जा रहे प्रयास रंग लाने लगे हैं। पिछले वर्ष की तुलना में पराली जलाने के मामलों में 95 प्रतिशत की कमी आई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल छह अक्टूबर तक जहां राज्य में पराली जलाने की 150 घटनाएं दर्ज की गई थीं, वहीं इस बार अभी तक इनकी संख्या घटकर केवल सात रह गई है।

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    मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी गई। मुख्य सचिव ने कहा कि यह हरियाणा के कृषि और प्रशासनिक ढांचे के बीच बेहतर समन्वय का परिणाम है, जिससे न केवल वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है बल्कि पर्यावरणीय सततता की दिशा में एक नई मिसाल भी कायम हुई है।

    सभी जिलों में पराली सुरक्षा बल गठित किए गए हैं। रिपोर्ट की गई सात घटनाओं में से तीन में चालान और कृषि अभिलेखों में रेड एंट्री के साथ एफआइआर भी दर्ज कराई गई है। दो घटनाएं कृषि से संबंधित नहीं थीं। इनमें से एक फरीदाबाद में कचरा जलाने और दूसरी सोनीपत में औद्योगिक अपशिष्ट जलाने से संबंधित थी। बैठक में बताया गया कि समझौते के मुताबिक इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड (आइओसीएल) का पानीपत स्थित एथनाल प्लांट किसानों से दो लाख टन पराली खरीदेगा।

    इसमें से 30 हजार टन पानीपत जिले तथा आसपास के जिलों से एक लाख 70 हजार टन पराली खरीदने की योजना है। इस पहल से किसानों को पराली जलाने के बजाय आर्थिक रूप से लाभकारी विकल्प मिलेगा। साथ ही स्वच्छ, नवीकरणीय ईंधन के उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा। पराली भंडारण के लिए पांच जिलों ने 205 एकड़ अतिरिक्त पंचायत भूमि की आवश्यकता बताई है।

    कुरुक्षेत्र जिले ने भूमि उपलब्ध करा दी है, जबकि करनाल, पानीपत और सोनीपत जिलों में प्रस्तावों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया जारी है। अंबाला जिले में एग्रीगेटर्स ने पंचायत भूमि का उपयोग करने के बजाय स्वयं निजी भूमि की व्यवस्था करने का निर्णय लिया है। बाक्स किसानों से निरंतर संवाद बनाएंगे अधिकारी सभी जिलों में कुल 9036 नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैं जो आवश्यक संख्या 8494 से अधिक हैं।

    प्रत्येक अधिकारी को रेड और येलो ज़ोन में 50 किसानों तथा अन्य क्षेत्रों में 100 किसानों की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये अधिकारी किसानों से निरंतर संवाद बनाए रखेंगे। मशीनरी के उपयोग की निगरानी करेंगे और आग की किसी भी घटना की रिपोर्ट मोबाइल प्लेटफार्म के माध्यम से रियल-टाइम में करेंगे।

    किसानों को साप्ताहिक एसएमएस संदेश भेजे जा रहे हैं जिनमें यह स्पष्ट किया जाता है कि पराली जलाने पर चालान, एफआइआर और खेत रिकार्ड में रेड एंट्री जैसी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। बाक्स किसानों को मिलेंगे आवश्यक उपकरण फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनरी की पहचान का 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।

    कुल 51 हजार 526 मशीनें कार्यशील हैं। नई मशीनरी की खरीद का 94.74 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। लाटरी सिस्टम से चयनित 14 हजार 88 मशीनों में से 8213 के परमिट डाउनलोड किए जा चुके हैं और 7781 के बिल अपलोड हो चुके हैं। फरीदाबाद, झज्जर और रोहतक में सबसे बेहतर काम हुआ है।