Punjab Flood: पंजाब के पास आपदा फंड के 12000 करोड़ रुपये लेकिन खर्च नहीं कर सकते, क्या हैं कारण?
पंजाब में बाढ़ का जायजा लेने आए प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य सरकार के पास एसडीआरएफ के 12000 करोड़ रुपये होने और केंद्र से 1600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता देने की बात कही। नियम पुराने होने से राज्य सरकार यह राशि खर्च नहीं कर पा रही है। नियमों में बदलाव की मांग उठी है क्योंकि मुआवजा राशि बहुत कम है।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत मंगलवार को पंजाब में आई बाढ़ का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने राज्य सरकार के पास स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड (एसडीआरएफ) के 12,000 करोड़ रुपये पहले से होने और केंद्र सरकार से 1,600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता देने की घोषणा की।
अब यह बात तूल पकड़ रही है कि आखिर राज्य सरकार के पास 12,000 करोड़ रुपये हैं तो वह खर्च क्यों नहीं कर रही?
हर पांच साल बाद वित्त आयोग अपनी रिपोर्ट में केंद्र व राज्य सरकारों को दो किस्तों में आपदा के लिए पैसा देने की सिफारिश करता है। यह राशि हर साल पांच प्रतिशत या उससे ज्यादा बढ़ाई भी जाती है।
राज्य सरकारें इस पैसे को आपदा प्रबंधन के नियमों के तहत ही खर्च कर सकती हैं जोकि बहुत पुराने हो चुके हैं और मौजूदा समय में यह अव्यावहारिक हैं।
नियमों में बदलाव न होने के कारण राज्य सरकारें चाहकर भी इस पैसे को आपदा के दौरान ज्यादा खर्च नहीं कर पातीं।
इस कारण अधिकांश राशि बच जाती है और वह राज्य सरकार के अगले वर्ष के खाते में जुड़ जाती है। पंजाब के पास जो 12 हजार करोड़ रुपये होने की बात कही जा रही है, वह राशि भी इसी तरह राज्य सरकार की ओर से खर्च न कर पाने से खाते में जुड़ती गई है।
अब भी सरकार मौजूदा समय में नियम अव्यावहारिक होने के कारण इसे पूरा खर्च नहीं कर सकती। यही नहीं, जब कभी राज्य में आपदा आती है तो सरकारें केंद्र को पत्र लिखकर नियमों में बदलाव की दुहाई तो लगाती हैं, लेकिन लगातार कभी दबाव नहीं बनाया।
इस बार भी जब आपदा आई तो मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार को एसडीआरएफ के नियमों में बदलाव की मांग की है, लेकिन केंद्र ने कोई जवाब नहीं दिया है।
केंद्र सरकार 75 फीसदी डालती है पैसा
पहाड़ी राज्यों को छोड़कर शेष सभी राज्यों के लिए एसडीआरएफ में केंद्र सरकार 75 प्रतिशत और राज्य सरकार 25 प्रतिशत पैसा डालती है। चूंकि इस पैसे को खर्च करने के नियम अव्यावहारिक हो चुके हैं, इसी कारण राज्य सरकार अपनी ओर से पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए पैसा देती है।
तीन दिन पहले पंजाब की कैबिनेट ने बाढ़ से फसल को हुए नुकसान के लिए किसानों को 20 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की घोषणा की है। इससे पहले केवल 15,000 रुपये प्रति एकड़ दिए जाते थे, जिसमें से केंद्र सरकार केवल 5,100 रुपये देती है।
ये नियम हुए अव्यावहारिक
- फसल बर्बाद होने पर मात्र 6,800 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा, मौजूदा समय में धान की फसल खराब होने की बात करें तो यह 60 से 70 हजार रुपये प्रति एकड़ है।
- बाढ़ के कारण खेतों में मिट्टी आ गई है तो निकालने के लिए पांच एकड़ के लिए किसानों को 7,000 रुपये प्रति एकड़ दिए जाते हैं।
- दुधारू पशु जिसमें भैंस, गाय आदि के मरने पर 37,500 रुपये देने का प्रविधान है, जबकि इस समय कोई भी अच्छा दुधारू पशु एक लाख से कम नहीं आता। भेड़ व बकरी के लिए चार हजार रुपये मिलते हैं।
- पक्का मकान गिरने पर 1.20 लाख देने का प्रविधान है। पूरा न टूटे तो 65 हजार मिलेंगे। सारा सामान बह गया है तो 2,500 रुपये।
- स्टेटे हाईवे की सड़कें टूटने पर रिपेयर के लिए ही प्रति किमी एक लाख मिलते हैं। ग्रामीण सड़कों के लिए यह मात्र 65 हजार रुपये प्रति किलोमीटर दिए जाते हैं।
- पेयजल के लिए दो लाख प्रति योजना दिए जा सकते हैं।
पंजाब को वर्षवार राशि देने की सिफारिश
- 2022-23: 693 करोड़ रुपये
- 2023-24: 728 करोड़ रुपये
- 2024-25:764 करोड़ रुपये
- 2025-26:803 करोड़ रुपये
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