Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    9 जजों और 250 वकीलों के साथ 1954 में हुई थी शुरुआत, यह इमारत वर्तमान बोझ ढोने में सक्षम नहीं : हाई कोर्ट

    Updated: Mon, 22 Jan 2024 09:42 PM (IST)

    पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab Haryana high Court) की इमारत पर अति बोझ को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को सारंगपुर में तुरंत 14.89 एकड़ भूमि अलॉट करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस इमारत का निर्माण 1954 में नौ न्यायाधीश के पद 250 पंजीकृत वकीलों के लिहाज से किया गया था।

    Hero Image
    यह इमारत वर्तमान बोझ ढोने में सक्षम नहीं

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हाई कोर्ट की इमारत पर अति बोझ को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को सारंगपुर में तुरंत 14.89 एकड़ भूमि अलॉट करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस इमारत का निर्माण 1954 में नौ न्यायाधीश के पद, 250 पंजीकृत वकीलों के लिहाज से किया गया था। आज जजों के 85 स्वीकृत पद हैं और 12000 पंजीकृत वकील ऐसे में हमें तुरंत अतिरिक्त जमीन की जरूरत है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पांच लाख से ज्यादा फाइलों को रखने के लिए जगह नहीं

    कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति निधि गुप्ता की खंडपीठ ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट कर्मचारी संघ के सचिव विनोद धत्तरवाल और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए भूमि अलॉटमेंट को बेहद जरूरी बताया। इस मामले में याचिकाकर्ता ने कहा था कि हाई कोर्ट की मौजूदा इमारत/परिसर भार सहन करने में सक्षम नहीं है, क्योंकि हाई कोर्ट में लंबित पांच लाख से अधिक न्यायिक फाइलों को रखने के लिए मुश्किल से ही कोई जगह है।

    स्टाफ की संख्या में भी बढ़ोत्तरी

    हाईकोर्ट ने कहा कि लगभग 70 वर्षों के अंतराल में न्यायाधीशों के स्वीकृत पद 09 से बढ़कर 85 हो गए हैं और इस इमारत में केवल 69 कोर्ट रूम मौजूद हैं। इनमें से भी कुछ स्थायी लोक अदालतों के तो कुछ मध्यस्थता केंद्र के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। अगले 50 वर्षों में हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत पद 140/150 तक पहुंच जाएंगे और इनके साथ ही वकील और स्टाफ की संख्या में भी बढ़ोत्तरी होगी। हाईकोर्ट की इमारत के निर्माण के समय भविष्य की आवश्यकताओं पर इतना ध्यान नहींं दिया गया, लेकिन आज हमें 50 साल बाद की स्थिति को देखकर आगे बढना होगा।

    भूमि आवंटन के संबंध में की गई चर्चा

    शुक्रवार को जब मामला सुनवाई के लिए आया तो चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से पेश हुए वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रशासन के अधिकारियों के साथ मिलकर सारंगपुर में वैकल्पिक भूमि के आवंटन के संबंध में इस न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय से चर्चा की गई थी। उच्च न्यायालय के प्रशासनिक ब्लॉक के लिए छह-छह एकड़ के दो भूखंड थे और 2.86 एकड़ के एक भूखंड को आवंटन के लिए उपलब्ध बताया गया। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि वर्तमान में हाईकोर्ट के पास स्थान की कमी है और ऐसे में सेक्टर 17 और इंडस्ट्रियल एरिया में मौजूद इमारत को भी सारंगपुर में भूमि अलॉटमेंट के बाद छोड़ा नहीं जा सकता।

    comedy show banner