कहीं चंडीगढ़ की सुखना लेक पर सैर करना भी हो न जाए दूभर, प्रशासन कर रहा ये प्लानिंग
चंडीगढ़ की सुखना लेक शहर का प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां रोजाना बड़ी संख्या में शहरवासी सुबह शाम सैर करने के लिए आते हैं। लेकिन कहीं सुखना लेक पर सैर करना दूभर न हो जाए। ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि प्रशासन ने सुखना को लेकर प्लानिंग की है।
चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ की सुखना लेक शहर का प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां रोजाना बड़ी संख्या में शहरवासी सुबह शाम सैर करने के लिए आते हैं। लेकिन कहीं सुखना लेक पर सैर करना दूभर न हो जाए। ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि किशनगढ़ का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) शहर का पहला ऐसा प्लांट होगा जिसका ट्रीटेड वाटर सुखना लेक में डाला जाएगा। इसका बीओडी लेवल लेक में पहले से मौजूद पानी के स्तर पर लाया जाएगा। लेकिन ऐसा जरूरत पड़ने पर ही होगा। रूटीन में इस पानी का इस्तेमाल गोल्फ रेंज, आइटी पार्क एरिया और अन्य जगहों की सिंचाई के लिए होगा। एसटीपी का ट्रीटेड वाटर लेक में डालने की बात पर सवाल उठने लगे हैं। पर्यावरणविद इसे सही नहीं मान रहे।
पर्यावरण प्रेमी राहुल महाजन ने कहा कि इससे लेक के पानी से बदबू आ सकती है। जिससे ट्रैक पर वाक करना मुश्किल हो जाएगा। नेनिताल लेक के पानी से ऐसी बदबू आती है। सुखना लेक अब बरसात के पानी पर निर्भर है। ट्रीटेड वाटर से जलीय जीवों को भी नुकसान पहुंच सकता है। प्रशासन को इन सभी पहलुओं को देखने के बाद निर्णय लेना चाहिए।
यह एसटीपी माडल सफल रहा तो इसी तरह से दूसरे गांवों के पानी को भी ट्रीट करने की योजना है। सबसे पहले धनास एरिया में ऐसा होगा। धनास से निकलने वाले इस्तेमाल किए पानी को ट्रीटमेंट कर धनास लेक में डाला जा सकता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों पर यह प्लांट लगाया जा रहा है। प्लांट की डेवलपमेंट रिपोर्ट समय समय पर एनजीटी को देनी होगी।
इस एसटीपी की खासियत
किशनगढ़ गांव से जो इस्तेमाल किया हुआ पानी निकलेगा उसे एसटीपी से ट्रीट करने के बाद बीओडी लेवल कम किया जाएगा। 20 करोड़ रुपये की लागत से दो साल में यह प्रोजेक्ट तैयार होगा। दो मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता होगी। यह ट्रीटमेंट प्लांट शहर के दूसरे प्लांट से एडवांस टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा। यह प्लांट एमबीआर टेक्नोलॉजी बेस्ड होगा। सबसे बड़ी खास बात यही है कि इसका पानी इतना साफ होगा जिसे लेक में डाला जा सकेगा। अतिरिक्त पानी सड़कें धोने के लिए भी इस्तेमाल हो सकेगा। टेक्नोलॉजी की वजह से यह एसटीपी दूसरे राज्यों के लिए भी मिसाल होगा।