चंडीगढ़ में पीजीआई के कर्मचारी नहीं कर सकेंगे हड़ताल, छह माह का प्रतिबंध लगा
पीजीआईएमईआर की सार्वजनिक सेवाएं जन-जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। हड़ताल से इन सेवाओं पर गंभीर असर पड़ सकता है इसलिए कर्मचारियों की किसी भी प्रकार की हड़ताल पर तत्काल प्रभाव से छह माह के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है। चंडीगढ़ में भी हरियाणा का अधिनियम लागू किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। यूटी प्रशासन ने स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआईएमईआर) के कर्मचारी अब प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे। चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से एक अधिसूचना जारी कर कर्मचारियों की किसी भी प्रकार की हड़ताल पर तत्काल प्रभाव से छह माह के लिए रोक लगा दी है।
प्रशासन का कहना है कि पीजीआई की सेवाएं सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा, स्वच्छता और जन-जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। हड़ताल की स्थिति में इन सेवाओं पर गंभीर असर पड़ सकता है, इसलिए संस्थान को अत्यावश्यक सेवा घोषित किया गया है।
प्रशासक, यूटी चंडीगढ़ ने हरियाणा आवश्यक सेवाएं (रख-रखाव) अधिनियम, 1974 की धारा 3 और 4ए के तहत यह आदेश पारित किया है, जो चंडीगढ़ में भी लागू है। आदेश के अनुसार, अब अगले छह माह तक पीजीआइ का कोई भी कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकेगा। बता दे कि पीजीआइ में आएं दिन विभिन्न यूनियन संघ अपनी -अपनी मांगों को लेकर हड़ताल जारी रखते हैं, जिसका असर सीधा पीजीआइ की स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ता है।
हाई कोर्ट ने कहा था- विवाद कैसा भी हो, स्वास्थ्य सेवाएं बाधित न हों
हाल ही में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भी कहा था कि किसी भी यूनियन को मरीजों की देखभाल में बाधा डालने या अस्पताल के कामकाज को प्रभावित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह आदेश वीरवार को चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआई ) में हो रहे विरोध प्रदर्शनों, हड़तालों और सेवा बाधाओं को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संदर्भ में सुनाया गया था।
हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि चाहे विवाद किसी भी स्तर पर क्यों न हो, पीजीआइ में मरीजों की देखभाल या स्वास्थ्य सेवाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। अदालत का यह आदेश सुनिश्चित करता है कि स्वास्थ्य से जुड़ी सार्वजनिक सेवाएं किसी भी परिस्थिति में बाधित न हों।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।