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    समानता, कल्याण सुधार और पेंशन न्याय की मांग, देशभर के शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों ने चंडीगढ़ से बुलंद की आवाज

    By Sohan Lal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Sat, 25 Oct 2025 05:28 PM (IST)

    देशभर के शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों ने चंडीगढ़ से समानता, कल्याण सुधार और पेंशन न्याय की मांग की है। अधिकारियों का कहना है कि उन्हें स्थायी कमीशन अ ...और पढ़ें

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    मीडिया से बातचीत में सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल जीपीएस विर्क व अन्य।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। देशभर से शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी चंडीगढ़ में एकत्र हुए, जिनमें विशेषज्ञ डॉक्टर, महिला अधिकारी और वरिष्ठ पूर्व सैनिक शामिल रहे। सभी ने वर्षों से लंबित मांगों को लेकर सरकार से न्याय की अपील की और मीडिया को अपने सामने आने वाली चुनौतियों से अवगत कराया। सरकार से वन रैंक, वन पेंशन का लाभ सभी एसएससी अधिकारियों, विशेषकर विशेषज्ञ डॉक्टरों तक बढ़ाने की मांग की। उनका कहना था कि उन्होंने स्थायी कमीशन अधिकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर मोर्चे पर सेवा की है, इसलिए उनके साथ भेदभाव अनुचित है।

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    एक अन्य प्रमुख मांग थी कि एसएससी अधिकारियों और उनके परिवारों को ईसीएचएस जैसी मेडिकल सुविधाएं दी जाएं, क्योंकि वर्तमान में उन्हें सेवा के बाद स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है। अधिकारियों ने संसद में जल्द से जल्द रीसेटलमेंट एंड आर्म्ड फोर्सेज वेलफेयर एक्ट पारित करने की भी अपील की, ताकि पूर्व सैनिकों, विशेष रूप से अल्पकालिक सेवा देने वालों के पुनर्वास और कल्याण को कानूनी ढांचा मिल सके।

    पूर्व सैनिकों ने यह भी मांग रखी कि आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल (एएफटी) को एसएससी अधिकारियों के पेंशन मामलों की सुनवाई का अधिकार दिया जाए, जिससे लगभग 10,000 पूर्व सैनिकों को राहत मिल सके। उन्होंने एक स्वतंत्र आयोग के गठन का भी सुझाव दिया, जो एसएससी अधिकारियों की शिकायतों और विवादों का समाधान करे, ताकि उन्हें अलग-अलग सिविल अदालतों का दरवाजा न खटखटाना पड़े।

    मीडिया से बातचीत में सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल जीपीएस विर्क ने कहा कि शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी हमारी सशस्त्र सेनाओं की रीढ़ रहे हैं। उन्होंने हर क्षेत्र में समान योगदान दिया है। चाहे वो ऑपरेशन हों, चिकित्सा सेवाएं हों या प्रशासन। लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें पेंशन, मेडिकल और रीसेटलमेंट नीतियों में भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। हम भीख नहीं, समानता और सम्मान की मांग कर रहे हैं।