Short Service Commission के पूर्व अधिकारियों ने चंडीगढ़ में मांगी पेंशन और चिकित्सा सुविधाएं, कहा- भेदभाव बंद हो
चंडीगढ़ प्रेस क्लब में पूर्व एसएससी अधिकारियों ने कहा कि वे पेंशन और चिकित्सा सुविधाओं की मांग को लेकर रक्षा मंत्री के साथ-साथ थल सेनाध्यक्ष से भी कई बार मिल चुके हैं लेकिन वर्षों बाद भी उनके प्रयास व्यर्थ गए हैं।

जासं, चंडीगढ़। शार्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के पूर्व अधिकारियों ने बुधवार को उन्हें पेंशन देने के साथ-साथ नियमित अधिकारियों की तरह चिकित्सा उपचार की सुविधाएं देने की मांग दोहराई। चंडीगढ़ प्रेस क्लब में पूर्व एसएससी अधिकारियों ने कहा कि वे इस संबंध में रक्षा मंत्री के साथ-साथ थल सेनाध्यक्ष से भी कई बार मिल चुके हैं लेकिन वर्षों बाद भी उनके प्रयास व्यर्थ गए हैं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में सरकार की ओर से घोषित वन रैंक वन पेंशन नीति की घोषणा की थी। इसमें उनके साथ भेदभाव किया गया है। उन्हें लगता है कि यह अनुचित है क्योंकि चयन प्रक्रिया, युद्ध और शपथ के लिए प्रशिक्षण नियमित अधिकारियों के समान ही दिया गया था। केंद्र और राज्य सरकारों के पास विभिन्न श्रेणियों में नागरिकों के लाभ के लिए योजनाएं हैं, एसएससी या आपातकाल के कमीशंड अधिकारी के लिए ऐसी कोई नीति नहीं थी।
एसएससी अधिकारियों ने कहा कि सैन्य अस्पतालों में चिकित्सा उपचार के प्रावधान को 2009 में मनमाने ढंग से वापस ले लिया गया था। सशस्त्र बल न्यायाधिकरण की चंडीगढ़ बेंच ने वर्ष 2010 में रक्षा मंत्रालय को सुविधाओं को बहाल करने का निर्देश दिया था लेकिन आदेश को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई, जहां यह लंबित है। पूर्व एसएससी अधिकारियों ने कहा कि वे शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और पुनर्वास योजनाओं में अपने बच्चों के लिए आरक्षण जैसे अन्य लाभों से भी वंचित हैं। उन्होंने कहा कि कार्रवाई में जान गंवाने वाले कई शार्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों के परिवारों को पेंशन मिल रही है। अफसोस की बात है कि उन्हें अपने परिवारों को पेंशन पाने के लिए अपनी जान देनी पड़ी। क्या इसका मतलब यह है कि हमारी गलती यह है कि हम युद्ध के दौरान नहीं मरे बल्कि दुश्मन को मारा।
इस मौके पर कैप्टन रोमियो जेम्स (पूर्व नेशनल हॉकी गोलकीपर, 1982 सिल्वर मेडल विजेता भारतीय टीम) कैप्टन एम एस उप्पल प्रेजिडेंट AISSCOWA मेजर डॉ आनंद सांवरिया पूर्व पार्षद चंडीगढ़, लेफ्टिनेंट कनर्ल विर्क मौजूद रहे।

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