Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कनाडा में खालिस्तान समर्थकों पर शिकंजा, संघीय अदालतों ने 30 से ज्यादा शरण संबंधी अपीलों को किया खारिज

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 11:56 AM (IST)

    कनाडा की संघीय अदालतों ने खालिस्तान समर्थक शरणार्थियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इस साल अब तक खालिस्तान समर्थक गतिविधियों से जुड़े लगभग 30 लोगों की शरण संबंधी अपीलें खारिज कर दी गई हैं। अदालत ने पाया कि कई आवेदकों के तर्क जैसे सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) से संबंध या खालिस्तान जनमत संग्रह में वोटर कार्ड उत्पीड़न के डर के लिए पर्याप्त नहीं थे।

    Hero Image
    कनाडा में खालिस्तान समर्थकों के शरणार्थी दावों पर शिकंजा।

    रोहित कुमार, चंडीगढ़। कनाडा की संघीय अदालतों ने खालिस्तान समर्थक शरणार्थियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इस वर्ष अब तक खालिस्तान समर्थक गतिविधियों से जुड़े कम से कम 30 लोगों की शरण संबंधी अपीलों को खारिज किया गया है। इन मामलों में कई आवेदकों ने दावा किया कि उनकी सिख फार जस्टिस (एसएफजे) से संबद्धता या कथित खालिस्तान जनमत संग्रह में वोटर कार्ड रखने के कारण उन्हें भारत लौटने पर उत्पीड़न का डर है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संघीय अदालत ने इन तर्कों को पर्याप्त नहीं माना है। केवल चार आवेदकों की अपीलों को अदालत ने स्वीकार किया। ये अपीलें उन व्यक्तियों की ओर से की गई थीं जिन्हें या तो शरण देने से मना कर दिया गया था या जिन्हें देश से निष्कासन का सामना करना पड़ रहा था। अदालत के रिकार्ड से यह जानकारी सामने आई है।

    स्पष्ट है कि कनाडा की अदालतें अब खालिस्तान समर्थक गतिविधियों के आधार पर किए शरण दावों को गंभीरता से परख रही हैं और ठोस एवं विश्वसनीय साक्ष्यों पर ही राहत दे रही हैं। सबसे ताजा मामला प्रदीप सिंह बनाम पब्लिक सेफ्टी एंड इमरजेंसी प्रिपेयर्डनेस मंत्री से संबंधित था। प्रदीप सिंह ने अदालत में निष्कासन आदेश के खिलाफ न्यायिक समीक्षा की मांग की थी।

    उनके पक्ष में माता-पिता के शपथपत्र और इंटरनेट मीडिया पोस्ट को साक्ष्य के तौर पर पेश किया गया, जिनमें कनाडा में खालिस्तान आंदोलन के समर्थन की झलक मिलती थी। छह सितंबर को टोरंटो की संघीय अदालत की जज ऐवी याओ-याओ गो ने उनकी अपील खारिज कर दी। इसी तरह, 27 अगस्त को ब्रिटिश कोलंबिया के वैंकूवर में जज गाय रेगिम्बाल्ड ने कनाडा में रह रही भारतीय नागरिक कंवलजीत कौर की दलीलों को भी अस्वीकार कर दिया।

    कौर ने दावा किया था कि वह एसएफजे से जुड़ी हैं और भारत लौटने पर उत्पीड़न का सामना करेंगी। अदालत ने कहा कि उनके दावे अनुमान पर आधारित हैं और मात्र जनमत संग्रह के वोटर कार्ड से यह साबित नहीं होता कि वह भारतीय एजेंसियों के लिए कोई उच्च प्रोफाइल वाली शख्सियत हैं। कौर 2018 में कनाडा पहुंची थीं और एक साल से अधिक समय बाद 2019 में शरण की मांग की थी।

    उन्होंने खालिस्तान समर्थक गतिविधियों का हवाला देना शुरू किया। 25 अगस्त को एक अन्य मामले में संघीय अदालत ने भारतीय दंपती की अपील भी खारिज कर दी। दंपती ने दावा किया था कि कनाडा में रहते हुए वे खालिस्तान समर्थक बन गए हैं और भारत लौटने पर उन्हें प्रताड़ित किया जाएगा। अदालत ने इसे भ्रामक और अविश्वसनीय करार दिया।