'हमारी पार्टी के नाम पर कब्जा किया तो....', पंजाब में शिरोमणि अकाली दल की ज्ञानी हरप्रीत सिंह को धमकी
शिरोमणि अकाली दल ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह के नए दल पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। डॉ. चीमा ने कहा कि अकाली दल एक पंजीकृत पार्टी है और दूसरी पार्टी द्वारा नाम के दुरुपयोग की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि लैंड पूलिंग पालिसी वापस लेने पर 31 अगस्त को श्री अकाल तख्त साहिब में अरदास की जाएगी।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल ने नए बने दल के प्रधान ज्ञानी हरप्रीत सिंह पर हमला बोलते हुए कहा है कि अगर वह शिरोमणि अकाली दल के नाम पर कब्जा करने की कोशिश करेंगे तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पार्टी नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि शिअद 1996 की चुनाव आयोग की अधिसूचना के अनुसार एक पंजीकृत और मान्यता प्राप्त पार्टी है।
साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा लैंड पूलिंग पॉलिसी वापस लेने के बाद अब पार्टी प्रधान सुखबीर बादल की अगुवाई में 31 अगस्त को श्री अकाल तख्त साहिब में शुकराना की अरदास की जाएगी। क्योंकि पहले पार्टी ने पॉलिसी वापस लेने तक 1 सितंबर से पक्का मोर्चा लगाने की घोषणा की थी।
'सौ प्रतिशत प्रतिनिधि पार्टी के साथ है'
नई गठित पार्टी को ‘वखरा चूल्हा पार्टी’ बताते हुए डॉ. चीमा ने कहा कि इस समय शिअद के 100 प्रतिशत प्रतिनिधि पार्टी के साथ हैं और शिअद के नाम का दुरुपयोग करने वाले अलग समूह का एक भी सदस्य उस पार्टी का सदस्य नहीं है। शिअद के सभी प्रतिनिधि पिछली कार्यकारिणी के कार्यकाल की समाप्ति के बाद हुए चुनाव के बाद चुने गए है।
वखरा चूल्हा के सदस्यों ने सदस्यता अभियान में भाग नहीं लिया था। उन्होंने आगे कहा कि शिअद के सभी सदस्यों ने 10 रुपये का सदस्यता शुल्क जमा करने के बाद पार्टी की सदस्यता ली थी, जो पांच साल के लिए है।
अलग समूह ने पार्टी के संविधान के अनुसार सदस्यता अभियान नहीं चलाया, जिसमें यह प्रावधान है कि प्रत्येक सदस्य को 10 रुपये का शुल्क देना होगा। इसलिए उन्हें अपनी पार्टी की बैठक को शिअद का प्रतिनिधि सत्र कहने का कोई अधिकार नहीं है।
'पंथिक हित में शिअद में विलय करना चाहिए'
डॉ. चीमा ने अलग समूह के अध्यक्ष ज्ञानी हरप्रीत सिंह पर 2 दिसंबर, 2024 को जारी श्री अकाल तख्त साहिब के हुक्मनामे का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया, जिसमें कहा गया था कि अलग समूह को अपनी दुकान बंद कर देनी चाहिए और पंथिक हित में शिअद में विलय कर लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ऐसा करने के बजाय, ज्ञानी हरप्रीत ने एक नई दुकान खोल ली। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और अनुचित है कि एक व्यक्ति जिसने सर्वोच्च सिख संस्था के जत्थेदार के रूप में कार्य किया है, उसने स्वयं द्वारा लिखे गए निर्देशों का पालन नहीं किया।
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