SAD and Badal Family: क्या शिराेमणि अकाली दल से बादल परिवार की होगी छुट्टी, पार्टी में नए समीकरण की कवायद
SAD and Badal Family पंजाब की राजनीति में यह बड़ा सवाल पैदा हो गया है कि क्या शिराेेमणि अकाली दल बादल परिवार से मुक्त होगाा। शिअद में नए सियासी समीकरण ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। SAD and Badal Family: पंजाब की सियासत में यह बात गर्मा गई है कि क्या शिरोमणि अकाली दल से बादल परिवार की छुट्टी होगी। शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल द्वारा पार्टी का संगठनात्मक ढांचा भंग करने के बाद पार्टी में नए समीकरण बनने की कवायद शुरू हो गई है।
अयाली और चंदूमाजरा के विरोध के बाद बराड़ का पत्र आया सामने
विधायक दल के नेता मनप्रीत अयाली और उनके बाद पूर्व सांसद प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा द्वारा ढांचागत बदलाव की मांग करने के बाद अब पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे जगमीत बराड़ का पत्र सामने आया है। यह पत्र संगरूर लोकसभा उपचुनाव से पहले लिखा गया था लेकिन तब यह सार्वजनिक नहीं हुआ।
तीन कार्यकारी अध्यक्ष बनाने और 11 सदस्यीय संसदीय बोर्ड के गठन का दिया सुझाव
बराड़ के पत्र के सार्वजनिक होने के बाद से पार्टी में नए समीकरण बनने शुरू हो गए हैं। बराड़ ने अपने पत्र में सुखबीर सिंह बादल को सुझाव दिया है कि पार्टी अध्यक्ष के साथ ही मालवा जोन के लिए मनप्रीत अयाली, दोआबा के लिए गुरप्रताप सिंह और माझा के लिए आदेश प्रताप सिंह कैरों या रवि किरण सिंह काहलों को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाए।
उन्होंने कहा कि 11 सदस्यीय संसदीय बोर्ड का गठन भी किया जाए। वहीं पार्टी छोड़ने वाले सभी नेताओं की घर वापसी करवाई। बराड़ का पत्र के सामने आने के बाद इस बात को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि क्या पार्टी से बादल परिवार की छुट्टी हो जाएगी।
बादल परिवार को चुनौती देना आसान नहीं
वहीं जानकार कहते हैं कि करीब तीन दशक से बादल परिवार ने जिस प्रकार से पार्टी और एसजीपीसी पर अपनी पकड़ मजबूत की है उससे उनको चुनौती देना आसान नहीं रहा। अब लगातार दो विधानसभा चुनाव और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव बुरी तरह से हारने के बाद संगरूर उपचुनाव में पार्टी के पांचवें नंबर पर रहने के बाद से सुखबीर बादल पर इस्तीफे का दबाव बना हुआ है।
उल्लेखनीय है कि शिरोमणि अकाली दल पर लंबे समय बाद इस प्रकार का संकट आया है। 1996 में हुई मोगा कान्फ्रेंस के बाद से पार्टी की कमान पूरी तरह से बादल परिवार के पास ही है। पहले प्रकाश ¨सह बादल और अब सुखबीर बादल पार्टी की कमान संभाल रहे हैं। बेशक सुखदेव सिंह ढींडसा, एसजीपीसी के पूर्व महासचिव सुखदेव सिंह भौर, सेवा सिंह सेखवां, किरणजोत कौर, जगदीश सिंह गरचा आदि नेता पार्टी को छोड़ गए लेकिन पार्टी में रहकर ही अपनी आवाज बुलंद नहीं कर सके। रतन सिंह अजनाला व रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा जैसे कद्दावर नेता भी पार्टी को अलविदा कह गए थे लेकिन पार्टी में वापस लौट आए।
2022 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद 100 विधानसभा सीटों से इकबाल सिंह झूंदा कमेटी द्वारा ली गई फीडबैक के बाद तैयार रिपोर्ट में ऊपर से नीचे तक पार्टी का नया ढांचा बनाने की बात उठी। सुखबीर बादल ने पार्टी का ढांचा भंग कर दिया है लेकिन वह अब भी अध्यक्ष बने हुए हैं। जबकि सीनियर नेताओं ने कोर कमेटी में यह भी मांग रखी थी कि पांच सदस्यीय कमेटी बनाकर काम चलाया जाए और जब तक नया ढांचा नहीं बन जाता तब तक कमेटी काम करे।
अध्यक्ष पद की दौड़ में इनके नाम आगे
बलविंदर सिंह भूंदड़: भूंदड़ बादल परिवार के करीबी माने जाते हैं। वह सौम्य स्वाभाव के हैं। उनके आयु और उनका तेज तर्रार न होना बड़ी बाधा है।
डा. दलजीत सिंह चीमा: चीमा भी बादल परिवार के खास नेताओं में माने जाते हैं। वह इस समय पार्टी के सीनियर उपाध्यक्ष भी हैं। पार्टी के अच्छे और बुरे अवसर पर वह हमेशा ही पार्टी के साथ खड़े नजर आते हैं। चीमा का पार्टी में अपना कोई धड़ा नहीं है, जो उनके नाम को आगे बढ़ा सके।
गुरप्रताप सिंह वडाला: पार्टी के पास एक बड़ा पंथक चेहरा है। दोआबा में पार्टी के दिग्गज माने जाने वाले कुलदीप ¨सह वडाला के बेटे गुरप्रताप पढ़े लिखे और समझदार राजनेताओं में शामिल हैं। बादल परिवार के चहेते नेताओं में न होने के कारण उनके अध्यक्ष बनने में बाधा भी है।
बीबी जगीर कौर: बीबी जगीर कौर भी तेज तर्रार नेत्री हैं। अगर उन्हें अध्यक्ष बनाया जाता है, तो वह शिरोमणि अकाली दल की पहली अध्यक्ष होंगी। दो बार एसजीपीसी की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
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