विदेश पर निर्भरता होगी खत्म, अब देश में बनेंगे सेमी कंडक्टर डिवाइस; चंडीगढ़ में पहले रिसर्च सेंटर का शिलान्यास
चंडीगढ़ में सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स आर्गेनाइजेशन (सीएसआइओ) में सेमीकंडक्टर प्रोडक्ट्स यूनिट का शिलान्यास किया गया। अब माइक्रो कंट्रोलर जैसे डिवाइस के लिए अमेरिका पर निर्भर नहीं रहना होगा। यह सेंटर देश में ही इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस तैयार करेगा और छात्रों को शोध का मौका मिलेगा। सीएसआईआर की डायरेक्टर जरनल डॉ. एन क्लाइसेल्वी ने इसका नींवपत्थर रखा।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। माइक्रो कंट्रोलर, टच स्क्रीन, डिजिटल सिग्नल प्रोसेसर जैसे डिवाइस पाने के लिए अब भारत को अमेरिका, जर्मनी या किसी अन्य देश पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। सेक्टर-30 स्थित सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स आर्गोनाइजेशन (सीएसआइओ) में पहली बार सेमी कंडक्टर प्रोडक्टस यूनिट आप्टो माइक्रोइलेक्ट्रानिक रिसर्च सेंटर का शिलान्यास किया है।
सेंटर तैयार होने के बाद इलेक्ट्रानिक डिवाइस देश में ही तैयार होंगे। डिवाइस तैयार करने के बाद आईआईटी, एनआईटी और तकनीकी शैक्षणिक संस्थानों से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को शोध के लिए देश में ही मौका मिलेगा। सेंटर का नींवपत्थर काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) की डायरेक्टर जरनल डॉ. एन क्लाइसेल्वी ने रखा, उनके साथ सीएसआईओ के निदेशक प्रो. शांतनु भट्टाचार्य भी मौजूद रहे।
साथ ही मंगलवार को सीएसआईओ सेक्टर-30 की तैयार की गई तकनीक हेड ऑफ डिस्प्ले, एडिविटी मेन्युफैक्चर्ड आर्थोपेडिक इंप्लांट और डायलिसिस मशीन को भी सार्वजनिक किया गया है। तकनीक को सार्वजनिक करने के बाद देश का कोई भी मेन्युफैक्चर प्लांट इनका निर्माण कर सकेगा।
अब तक कैलिफोर्निया, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ही है शोध की मंजिल भारत में आईआईटी, एनआईटी या तकनीक शैक्षणिक संस्थानों से बीटेक इन कंप्यूटर साइंस या फिर बीटेक इलेक्ट्रानिक्स की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को शोध के लिए कैलिफोर्निया, आस्ट्रेलिया और कनाडा की यूनिवर्सिटी का ही रुख करना पड़ता है।
देश में अभी तक सेमी कंडक्टर का निर्माण या शोध कराने का कोई प्लांट मौजूद नहीं है। सेंटर तैयार होने के बाद विद्यार्थी शोध कार्य भारत में रहकर कर सकेंगे और अपना स्टार्टअप भी शुरू कर सकेंगे। सीएसआइओ की तकनीक की सार्वजनिक, कोई भी प्रोडक्शन कंपनी खरीद सकती है।
सीएसआइओ पहुंचने पर डायरेक्टर जरनल डॉ. एन क्लाइसेल्वी ने किडनी मरीजों की डायलिसिस मशीन, आर्गेन रिप्लेसमेंट करने के समय थ्रीडी मेटल प्रिंटर से तैयार करके अंग प्रदान करने वाली तकनीक एडिविटी मैन्युफेक्चर्ड आर्थोपेडिक इंप्लांट और एलसीए-तेजस एमके 1ए, हाकआई, हाक132, एचजेटी36-यशस, सु30एम के आई और एलसीए-एमके-2 के हेड ऑफ डिस्प्ले बनाया है।
अभी तक डायलिसिस मशीन और हेड आफ डिस्प्ले विदेश से मंगवाई जाती थी। वहीं, आर्गन रिप्लेसमेंट के समय अभी तक भारत में आर्टिफिशियल तकनीक का इस्तेमाल होता था, जिससे इंफेक्शन या साइड इफेक्ट हो जाता है। थ्रीडी मेटल प्रिंटर से साइड इफेक्ट या इंफेक्शन जैसी परेशानी नहीं होगी।
आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत आप्टो माइक्रोइलेक्ट्रानिक रिसर्च सेंटर मील का पत्थर साबित होगा। सेमी कंडक्टर डिवाइस के लिए युवाओं में क्रेज है, जिनकी मांग को देखते हुए यह सेंटर लाभदायक सिद्ध होगा। -डॉ. एन क्लाइसेल्वी डायरेक्टर जरनल, सीएसआईआर।
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