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    सेल्फ फाइनेंसिंग इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम: ये 3 विकल्प जिनसे चंडीगढ़ के 4 हजार कर्मियों के आशियाने का होगा फैसला

    चंडीगढ़ के करीब 4 हजार कर्मचारी कई वर्षों से अपने आशियाने के इंतजार कर रहे हैं। लगभग 14 वर्षों से सेल्फ फाइनेंसिंग इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम के तहत मकान मिलने का इतंजार कर रहे इन कर्मचारियों का मसला जल्द सुलझ सकता है।

    By Ankesh ThakurEdited By: Updated: Fri, 27 May 2022 01:27 PM (IST)
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    3940 इंप्लाइज को मकान देने के लिए प्रशासन ने दो विकल्प रखे हैं।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। 14 वर्षों से आशियाने का इंतजार कर रहे चंडीगढ़ के चार हजार कर्मचारियों का मसला सुलझने जा रहा है। हालांकि प्रशासन इस मसले को अब कर्मचारियों की मांग को देखते हुए नहीं बल्कि अपनी शर्तों पर सुलझाने की तैयारी कर चुका है। यहां बात वर्ष 2008 से लंबित सेल्फ फाइनेंसिंग इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम की हो रही है। अब इस स्कीम का मामला ज्यादा दिन तक उलझा न रहे इसकी तैयारी प्रशासन कर रहा है। ड्रा के बाद चुने गए 3940 इंप्लाइज को मकान देने के लिए प्रशासन ने दो विकल्प रखे हैं। तीसरा विकल्प पैसे वापस कर स्कीम को बंद करने का रखा गया है। आइए विस्तार से आपको इन तीनों विकल्पों के बारे में जानकारी देते हैं।

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    प्रशासन ने दिए यह तीन विकल्प

    पहला

    इस विकल्प में कर्मचारियों को स्टिल्ट पार्किंग के अतिरिक्त दस मंजिल टावर बनाकर फ्लैट मुहैया कराए जाएंगे। इसमें कम जमीन का इस्तेमाल होगा। फ्लैट रेट उतने महंगे नहीं होंगे जितने कम मंजिल का टावर बनाने से पड़ रहे हैं। कर्मचारी इस विकल्प को खारिज कर चुके हैं।

    दूसरा

    दूसरे विकल्प में कर्मचारियों को स्टिल्ट पार्किंग के अतिरिक्त छह मंजिला इमारत बनाकर दी जाएगी। इसमें बिल्डिंग की ऊंचाई कम होगी। प्रत्येक टावर में फ्लैट की संख्या कम होगी। इसको भी कर्मचारी पहले कई चर्चा के दौरान नकार चुके हैं। कर्मचारी केवल बिल्ट अप एरिया के हिसाब से फ्लैट के रेट चाहते हैं। जबकि प्रशासन पूरे प्रोजेक्ट में इस्तेमाल होने वाली जमीन को कंस्ट्रक्शन कोस्ट के साथ जोड़कर फ्लैट के रेट चाहते हैं। जमीन का वर्तमान मार्केट रेट जोड़ा जा रहा है।

    तीसरा

    ड्रा के बाद स्कीम में 3940 इंप्लाइज का नाम फाइनल हुआ था। इन इंप्लाइज से फ्लैट की कुल कीमत का 25 फीसद हिस्सा जमा करा लिया गया था। प्रत्येक इंप्लाइज से 25 फीसद राशि लेने के बाद प्रशासन के पास कुल 58 करोड़ रुपये जमा हुए थे। इतने वर्षों से 58 करोड़ रुपये सीएचबी के पास जमा है। अब अगर कर्मचारी पहले दोनों विकल्प पर राजी नहीं होते तो यह 58 करोड़ ब्याज सहित लौटने का तीसरा विकल्प रखा गया है।

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    "केंद्र सरकार इस स्कीम के लिए 61.5 एकड जमीन नए रेट पर देने की मंजूरी दे चुकी है। इसलिए जमीन कम होने या न होने का अब प्रशासन बहाना नहीं बना सकता। इंप्लाइज कई गुणा कीमत पर फ्लैट लेने को तैयार नहीं है। साथ ही प्रशासन के तीनों विकल्पों को भी उनका अधिवक्ता कोर्ट में खारिज कर चुका है।

                                                 -डा. धर्मेंद्र, जनरल सेक्रेटरी, यूटी इंप्लाइज हाउसिंग वेलफेयर सोसायटी।