Move to Jagran APP

पंजाब में शिअद का नया सियासी कार्ड, कहा- अल्पसंख्यकों व सिखों को जीवित रहना है तो उसे जीतना होगा

पंजाब विधानसभा चुनाव को देखते हुए शिरोमणि अकाली दल ने नया सियासी पैंतरा खेला है। सुखबीर बादल के प्रधान सलाहकार ने कहा कि अगर देश में अल्पसंख्यकों व सिखों को जीवित रहना है तो इस बार शिअद को जीतना होगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 04:18 PM (IST)Updated: Thu, 09 Dec 2021 09:27 AM (IST)
पंजाब में शिअद का नया सियासी कार्ड, कहा- अल्पसंख्यकों व सिखों को जीवित रहना है तो उसे जीतना होगा
शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल की फाइल फोटो।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। भाजपा से गठबंधन टूटने और भाजपा के कैप्टन गठजोड़ के प्रयासों के बीच शिरोमणि अकाली दल ने नया सियासी कार्ड खेला है। शिअद के प्रधान सुखबीर सिंह बादल के प्रधान सलाहकार हरचरण सिंह बैंस ने ट्वीट कर कहा है, 'आप इस बात से इन्कार नहीं कर सकते कि अगर भारत में अल्पसंख्यकों और सिखों को जीवित रहना है तो शिरोमणि अकाली दल को इस बार जीतना होगा। उन्होंने आगे कहा कि यह सिर्फ सुखबीर के बारे में नहीं है। यह इससे भी बड़ी बात है। कभी-कभी इतिहास लोगों को उससे भी बड़ी भूमिका के लिए चुनता है, जितना कि हम महसूस करते हैं।'

loksabha election banner

अब तक पंथक मामलों को लेकर राजनीति करते आ रहे शिरोमणि अकाली दल का इस तरह का स्टैंड राजनीतिक विश्लेषकों को भी समझ नहीं आ रहा है। वह उनके इस बयान को एक हारे हुए दल की बयानबाजी के रूप में देख रहे हैं, जबकि दूसरी ओर विपक्षी पार्टियों ने उनके इस बयान को धर्म आधारित राजनीति करार दिया है। भारतीय जनता पार्टी के महासचिव डा. सुभाष शर्मा ने हरचरण बैंस को जवाब देते हुए कहा हैं कि सुखबीर बादल सिर्फ एक राजनेता हैं और अकाली दल सिर्फ एक राजनीतिक दल। उसे पंथ के समकक्ष बताकर अपनी दलगत राजनीति न करें। आपके व्यक्तव्य से लगता है कि आपको अपनी हार साफ दिखाई देने लगी है। क्या आपको लगता है कि पंजाब में सिखों को खतरा है? खतरा सिखों का नहीं है बल्कि उनके नाम पर राजनीति करने वाले बादल परिवार को है।

हरचरण बैंस के इस बयान से लग रहा है कि असल खतरा सुखबीर बादल की प्रधानगी को लेकर है। अब कोई उनके अधीन काम नहीं करना चाहता। प्रकाश सिंह बादल के बाद सबसे सीनियर नेता सुखदेव सिंह ढींडसा और रंजीत सिंह ब्र्ह्मपुरा उनकी प्रधानगी काे पहले ही चुनौती देते हुए बाहर हो गए हैं। अब उनके निकटवर्ती मनजिंदर सिंह सिरसा जैसे लोग भी उन्हें छोड़कर भाजपा में चले आ गए हैं।

ट्वीट निराशावादी

पंजाब यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के पूर्व प्रोफेसर मनजीत सिंह ने कहा कि हरचरण बैंस का ट्वीट निराशावादी है। लगता है कि उन्होंने मान लिया है कि पार्टी बुरी तरह से हार रही है। उन्हें यह बताना चाहिए था कि अल्पसंख्यकों को खतरा किससे है। सिखों जैसी बहादुर कौम तो 1920 से लेकर 77 तक विभिन्न मोर्चों पर लड़ती ही रही है। मनजीत सिंह ने कहा कि अकाली दल की मौजूदा लीडरशिप के घुटनों में पानी भर गया है, जिस कारण पंथक लोग उनसे दूर चले गए हैं। अब ये सड़कों पर संघर्ष करने वाली पार्टी नहीं रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.