RTI को लेकर पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा का बड़ा बयान, बोले- कानून को कमजोर करने वाले संशोधन रद किए जाएं
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरटीआई कानून को कमजोर करने वाले संशोधनों को रद करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए यह कानून लागू किया था, लेकिन भाजपा इसे कमजोर कर रही है। हुड्डा ने आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा और आयोगों में खाली पदों को भरने की भी मांग की है।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून को कमजोर करने वाले संशोधन रद किए जाएं। यह कानून देश के आम नागरिकों को सशक्त बनाने का एक मजबूत हथियार था। भाजपा ने सत्ता में आने के बाद से लगातार संशोधन कर इस कानून को कमजोर करके आम नागरिक को इस सशक्त अधिकार से वंचित करने का काम किया है।
अधिनियम की 20वीं वर्षगांठ पर अपनी बात रखते हुए हुड्डा ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार और सोनिया गांधी की दूरदर्शिता ने 12 अक्टूबर 2005 को इस कानून को लागू कर देश में पारदर्शिता और जवाबदेही की नई मिसाल कायम की थी। यह कानून यूपीए के उस योजना का हिस्सा था, जिसमें मनरेगा, शिक्षा का अधिकार, वन अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा जैसे जनहितकारी कदम शामिल थे। आरटीआइ ने आम लोगों, खासकर समाज के सबसे कमजोर तबके को भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपनी आवाज उठाने का हक दिया।
हुड्डा ने आरोप लगाया कि वर्ष 2014 के बाद से भाजपा द्वारा आरटीआई को लगातार कमजोर किया जा रहा है, जिससे देश की पारदर्शिता और लोकतंत्र पर गहरा असर पड़ा है। केंद्र और राज्य आयोगों में खाली पदों को पारदर्शी तरीके से जल्दी भरा जाए। आयोगों के लिए कामकाज के मानक तय हों और मामलों के निपटारे की रिपोर्ट सार्वजनिक हो। व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट को तुरंत लागू कर आरटीआई कार्यकर्ताओं को सुरक्षा दी जाए। आयोगों में पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और महिलाओं को शामिल कर विविधता सुनिश्चित हो।
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