होशियारपुर कोर्ट में प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर व चीमा के खिलाफ चल रही सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
होशियारपुर की अदालत में शिअद नेता प्रकाश सिंह बादल सुखबीर बादल व डा. दलजीत चीमा के खिलाफ चल रहे दोहरे संविधान मामले के केस की सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे इन तीनों नेताओं को थोड़ी राहत मिली है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल के नेताओं प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल और डा. दलजीत सिंह चीमा को थोड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने होशियारपुर की एक अदालत में उनके खिलाफ दोहरा संविधान पेश करने के चल रहे केस की सुनवाई पर रोक लगा दी है।
दोहरे संविधान के विवाद को लेकर प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल और पार्टी के सचिव रहे डा. दलजीत सिंह चीमा पर जालसाजी और धोखाधड़ी का केस चल रहा है, जो होशियारपुर के निवासी बलवंत सिंह खेड़ा ने दर्ज किया है।
बलंवत सिंह खेड़ा ने 2009 में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष एक आपराधिक शिकायत दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया था कि शिरोमणि अकाली दल ने दो अलग-अलग संविधान बनाए हुए हैं। पार्टी ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव लड़ने के लिए गुरुद्वारा चुनाव आयोग के पास जो संविधान दिया है उसमें खुद को धार्मिक पार्टी बताया हुआ है जबकि भारतीय चुनाव आयोग से मान्यता लेने के लिए अलग संविधान पेश किया गया, जिसमें कहा गया है शिरोमणि अकाली दल एक धर्म निरपेक्ष पार्टी है।
बादल की ओर से पेश हुए वकीलों ने अदालत में दलील दी कि धार्मिक चुनाव, धर्म निरपेक्षता के सिद्धांतों के विपरीत नहीं हैं, क्योंकि एक राजनीतिक पार्टी गुरुद्वारा कमेटी के चुनाव लड़ती है, इसका यह मतलब नहीं है कि धर्मनिरपेक्ष नहीं है। इसीलिए पार्टी पर भारतीय निर्वाचन आयोग के पास संविधान के मामले में जालसाजी तथा धोखाधड़ी का आरोप लगाना बेतुका है।
आज जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस वी सुब्रमणयम की बैंच ने फौजदारी के केस को खारिज करने की मांग पर सुनवाई करते हुए करते हुए अतिरिक्त चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट होशियारपुर की अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी है।
सुखबीर बादल की ओर से आरएस चीमा, प्रकाश सिंह बादल की ओर से केवी विश्वनाथन और डा. दलजीत सिंह चीमा की ओर से संदीप कपूर वकील के तौर पर पेश हुए, जबकि शिकायतकर्ता की ओर से इंदिरा उन्नीअय्यर पेश हुईं।
शिकायतकर्ता बलंवत सिंह खेड़ा की तरफ से पेश होते हुए वकील इंदिरा ने अदालत से आग्रह किया कि वह अपनी दलील पेश रखना चाहती हैं। अदालत ने उन्हें अपना जवाब दायर करने को कहते हुए कहा कि इसकी सुनवाई अगली तारीख पर की जाएगी।
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