50 साल से रह रहे, अब मार्केट रेट की मांग; पुनर्वास कॉलोनी के मकानों को लेकर चंडीगढ़ प्रशासन की रिपोर्ट ने उड़ाई लोगों की नींद
चंडीगढ़ में पुनर्वास कलोनी के मकानों के मालिकाना हक को लेकर प्रशासन की एक कमेटी की रिपोर्ट आई है, जिससे लोग सकते में हैं। कमेटी ने मालिकाना हक देने से इनकार किया है और मार्केट रेट पर लाइसेंस फीस वसूलने की सिफारिश की है। भाजपा ने कहा है कि किसी का मकान नहीं छीना जाएगा। सर्वे में अवैध खरीद-फरोख्त का खुलासा हुआ है, लेकिन स्थाई नीति का अभी भी अभाव है।

पुनर्वास कॉलोनी के मकानों को लेकर आई रिपोर्ट (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। प्रशासन के अधिकारियों की एक कमेटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद शहर के पुनर्वास कालोनी के मकान के मालिकाना हक को लेकर लोग सकते में आ गए हैं।
इस कमेटी ने सिफारिश की है कि इन मकानों में रहने वाले लोगों को मालिकाना हक नहीं मिल सकता इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि साल 2023 में सर्वे के बाद जिन लोगों ने मकान की खरीद फरोखत की है वह गैरकानूनी है।
इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि इससे पहले जो भी इन मकानों में बेशक लीगल हायर भी रह रहे हैं उन्हें भी मालिकाना हक नहीं मिल सकता। कमेटी ने यह है अभी सिफारिश की है कि इन लोगों से भी मार्केट रेट के हिसाब से लाइसेंस फीस वसूल करने के लिए नीति बनाई जाए।
कमेटी की यह सिफ़ारिशें अभी लागू नहीं की गई है। इन सिफारिश पर अंतिम निर्णय प्रशासक की ओर से लिया जाना है। कमेटी की रिपोर्ट के मिनट्स सामने आने के बाद राजनीति बढ़ गई है।
जिसमें भाजपा की ओर से कहा गया है कि पुनर्वास कालोनी में रहने वाले किसी भी व्यक्ति का मकान नहीं छीना जाएगा। मालूम हो कि साल 2023 मे संपदा विभाग की ओर से पूरे शहर की पुनर्वास कालोनीयों के मकान का सर्वे किया गया है।
जिसमें पाया गया कि कई लोग यहां पर मकान खरीद कर रह रहे हैं जबकि नियम के अनुसार वह मकान नहीं खरीद सकते थे। पुनर्वास कॉलोनी के मकान का मालिकाना हक दिलवाने का वादा हर चुनाव में राजनीतिक दलों की ओर से किया जाता है लेकिन इस पर अभी तक कोई स्थाई नीति नहीं बनी है।
कई कालोनियों में 2008 के बाद से लाइसेंस शुल्क की दरों में संशोधन नहीं हुआ। कमेटी ने मार्केट वैल्यू के आधार पर नई दरें तय करने की सिफारिश की है। प्रशासन इस पर अंतिम निर्णय लेगा।
सर्वे में पता चला कि कई साइट्स पर पावर आफ़ अटार्नी, किराये या सबलेट के आधार पर गैर-कानूनी ट्रांसफर किए गए हैं। कमेटी ने ऐसे सभी मामलों से सरकारी बकाया वसूली की सिफारिश की है।
कमेटी ने कब्जाधारकों से अस्थायी रूप से शुल्क वसूली जारी रखने का प्रस्ताव भी रखा है। कमेटी का मानना है कि मौजूदा निवासियों को भूमि का स्वामित्व नहीं दिया जाना चाहिए ।

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