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    भाखड़ा डैम से रिकॉर्ड पानी छोड़ने से पंजाब-हरियाणा में बाढ़ का खतरा, BBMB चेयरमैन ने किया सतर्कता का आग्रह

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 06:29 PM (IST)

    उत्तरी भारत में भारी बारिश के कारण ब्यास नदी में रिकॉर्ड जल स्तर दर्ज किया गया है। भाखड़ा डैम का जल स्तर 1679 फीट तक पहुंच गया। पंजाब और हरियाणा में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। बीबीएमबी के चेयरमैन ने राज्यों से ड्रेनेज व्यवस्था दुरुस्त करने का आग्रह किया है। पानी प्रबंधन को लेकर राज्यों में तालमेल की कमी को उजागर किया गया है।

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    भाखड़ा डैम का जल स्तर 1679 फीट तक पहुंचा (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। इस बार मानसून ने उत्तर भारत में बरसात का रिकॉर्ड तोड़ दिया। ब्यास नदी में इस साल अब तक का सबसे ज्यादा 11.70 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी आया है। इससे पहले 2023 में 9.5 बीसीएम पानी दर्ज किया गया था।

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    भाखड़ा डैम का स्तर इस बार 1679 फीट तक पहुंच गया, जबकि 1988 में यह 1685 फीट तक गया था। लगातार ऊपर से 2 से 2.5 बीसीएम पानी आने के बावजूद डैम से नियंत्रित तरीके से करीब 1.1 बीसीएम पानी छोड़ा गया।

    इसके बावजूद पंजाब व हरियाणा के कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति बनी और हजारों लोग प्रभावित हुए। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) के चेयरमैन का मानना है कि केवल डैम से पानी छोड़ने अथवा नहीं छोड़ने पर निर्भर रहकर बाढ़ से नहीं निपटा जा सकता। राज्यों को चाहिए कि ड्रेनेज और नदियों की सफाई पर समय रहते काम करें, ताकि अचानक पानी छोड़े जाने पर बाढ़ जैसी स्थिति न बने।

    भाखड़ा और पोंग डैम उत्तर भारत की जीवनरेखा तो हैं, लेकिन पानी प्रबंधन को लेकर राज्यों में सामंजस्य की कमी लगातार संकट को जन्म दे रही है।

    विशेषज्ञों का मानना है कि यदि तकनीकी फैसलों के साथ राज्यों ने आपसी तालमेल और समय रहते ड्रेनेज व्यवस्था दुरुस्त की होती तो तबाही का यह हाल नहीं होता। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में पानी के इन आंकड़ों की जानकारी दी।

    पंजाब सरकार का आरोप है कि बीबीएमबी ने ज्यादा पानी छोड़ा, जिससे गांव डूबे और लोग संकट में आए। दूसरी ओर, हरियाणा का कहना है कि यदि अप्रैल में उसे डैम से पानी दिया जाता, जब स्तर 1550 से 1560 फीट था, तो आज पंजाब पर इतना दबाव नहीं होता।

    हरियाणा का तर्क है कि उस समय यदि तीन फीट पानी कम किया जाता तो बाढ़ का खतरा घट जाता। चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने इस विवाद पर कहा कि डैम से पानी छोड़ने का फैसला तकनीकी समिति लेती है, जिसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के इंजीनियर शामिल होते हैं। राज्यों की “कंजर्वेटिव अप्रोच” (संकीर्ण सोच) ही कई बार विवाद को जन्म देती है।

    पोंग डैम की अधिकतम क्षमता 1400 फीट है, जबकि भाखड़ा डैम की सीमा 1680 फीट है। इस साल भाखड़ा डैम अपनी अधिकतम क्षमता के बेहद करीब पहुंचा। मौसम विभाग ने अगले तीन-चार दिनों तक भारी बारिश की संभावना से इंकार किया है, जिससे फिलहाल कुछ राहत की उम्मीद है।

    भाखड़ा डैम से पानी छोड़े जाने और लगातार बारिश के कारण पंजाब व हरियाणा के कई इलाकों में खेत, घर और सड़कें जलमग्न हो गईं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना पड़ा। बाढ़ से गुस्से में स्थानीय लोगों ने डैम प्रबंधन और सरकारों को सवालों में खड़ा किया है।

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