सतलोक आश्रम के रामपाल की उम्रकैद की सजा निलंबित, हाईकोर्ट ने इन शर्तों के साथ सुनाया फैसला
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सतलोक आश्रम के रामपाल की सजा निलंबित की। अदालत ने कहा कि रामपाल किसी भी प्रकार की भीड़ को बढ़ावा नहीं देंगे। रामपाल को हत्या और अन्य अपराधों के लिए 2018 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। अदालत ने रामपाल की उम्र और जेल में बिताए समय को ध्यान में रखते हुए सजा निलंबित की है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सतलोक आश्रम, बरवाला के विवादित संत रामपाल की सजा को निलंबित करते हुए साफ निर्देश दिए हैं कि उनकी रिहाई के दौरान वे किसी भी प्रकार की भीड़ के उन्माद को बढ़ावा न दें।
न ही ऐसे किसी धार्मिक या सामाजिक जमावड़े में शामिल हों, जिससे शांति, कानून और व्यवस्था भंग होने का खतरा हो।
जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल और जस्टिस दीपिंदर सिंह नलवा की खंडपीठ ने रामपाल की अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
हाई कोर्ट ने कहा कि यदि रामपाल जमानत की शर्तों का उल्लंघन करते पाए जाते हैं या किसी को भड़काने की कोशिश करते हैं, तो राज्य सरकार उनकी जमानत रद्द कराने की कार्रवाई कर सकती है।
हाई कोर्ट ने अपने पांच पेज के आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि रामपाल की उम्र 74 वर्ष हो चुकी है और उसने अब तक 10 साल 8 महीने 21 दिन जेल में गुज़ारे हैं।
ऐसे में यह उचित होगा कि अपील लंबित रहने तक उसकी सजा निलंबित की जाए। गौरतलब है कि हिसार की अदालत ने 11 अक्टूबर 2018 को रामपाल को हत्या (धारा 302), गलत तरीके से बंधक बनाने (धारा 343) और आपराधिक साजिश (धारा 120 बी) के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
यह मामला 2014 का है, जब सतलोक आश्रम में हुई घटना में पांच महिला अनुयायियों की मौत हो गई थी। मृतक महिला राजबाला की मृत्यु दम घुटने से हुई थी।
रामपाल के वकील अर्जन श्योराण की ओर से दलील दी गई कि मौतें पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले छोड़े जाने के कारण हुईं, जिससे भगदड़ और दम घुटने जैसी स्थिति बनी।
वहीं, राज्य सरकार ने कहा कि रामपाल ने महिलाओं और अनुयायियों को कमरे में बंधक बना रखा था, जिससे उनकी मौत हुई।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी उल्लेख किया कि मृतक के परिजन, जो प्रत्यक्षदर्शी थे, उन्होंने अदालत में बयान दिया कि दम घुटने की स्थिति आंसू गैस के कारण बनी थी, न कि रामपाल की वजह से।
इसी आधार पर अदालत ने उनकी शेष सजा को अपील लंबित रहने तक निलंबित कर दिया।पिछले हफ्ते भी हाई कोर्ट ने रामपाल की सजा को एक अन्य मामले में "विवादित साक्ष्यों" के आधार पर निलंबित किया था।
अब इस आदेश के बाद रामपाल को राहत तो मिली है, लेकिन शर्तों का उल्लंघन होने पर उनकी जमानत तत्काल रद्द की जा सकती है।
इसके अलावा, वह 2014 में सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के प्रयास के मामले में भी विचाराधीन मुकदमे का सामना कर रहा है।
उस समय उसने अपने अनुयायियों की भीड़ जुटाकर पुलिस बलों का विरोध किया और बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी।
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