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    पंजाब में स्कूली बच्चों को नशे से बचने का पाठ पढ़ाएगी मान सरकार, शिक्षा बनेगी नशे के खिलाफ हथियार

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 08:30 PM (IST)

    पंजाब में भगवंत मान सरकार ने नशे के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाया है। 1 अगस्त से राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षा तक के छात्रों को नशे से बचाव का एक वैज्ञानिक पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. अभिजीत बनर्जी की टीम द्वारा तैयार किया गया यह कोर्स बच्चों को नशे से दूर रहने और सही निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

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    पंजाब के स्कूलों में अब नशे से बचाव की शिक्षा

    डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। पंजाब में नशे ने कई घर उजाड़े, कई मां-बाप की गोद सूनी कर दी, लेकिन अब वो दौर पीछे छूट रहा है। अब पंजाब में सिर्फ कार्रवाई नहीं, असली बदलाव हो रहा है, और इस बदलाव की अगुवाई कर रही है भगवंत मान सरकार। अब नशे से लड़ाई थानों से नहीं, स्कूल की कक्षा से लड़ी जाएगी। सरकार ने एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला लिया है जो आने वाले वक्त में पूरे देश के लिए एक मॉडल बनेगा।

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    1 अगस्त से पंजाब के सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को नशे से बचाव का एक वैज्ञानिक पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। ये फैसला सिर्फ एक कोर्स शुरू करने का नहीं, बल्कि पंजाब के भविष्य को बचाने का एलान है। इस पाठ्यक्रम को नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. अभिजीत बनर्जी की टीम ने तैयार किया है और इसे देशभर के वैज्ञानिक और शिक्षा विशेषज्ञ भी सराह चुके हैं।

    बच्चों को 27 हफ्तों तक हर पंद्रहवें दिन 35 मिनट की क्लास के जरिए सिखाया जाएगा कि नशे को कैसे ना कहें, दबाव में आकर गलत रास्ता कैसे न चुनें और सच्चाई को पहचानकर अपने फैसले खुद लें। इस कार्यक्रम के जरिए 3,658 सरकारी स्कूलों के करीब 8 लाख छात्र जुड़ेंगे।

    इन्हें पढ़ाने के लिए 6,500 से अधिक शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। यह पहली बार है जब कोई राज्य सरकार नशे के खिलाफ ऐसा ठोस और दूरदर्शी कदम उठा रही है। इस कोर्स में बच्चों को फिल्में दिखाई जाएंगी, प्रश्नोत्तरी करवाई जाएगी, पोस्टर, वर्कशीट और इंटरेक्टिव गतिविधियों के जरिए बच्चों की सोच को मजबूत किया जाएगा।

    बच्चों के मन में जो भ्रम हैं उन्हें तोड़ा जाएगा और उन्हें समझाया जाएगा कि नशा कभी ‘कूल’ नहीं होता, बल्कि विनाश का रास्ता होता है। जब इस पाठ्यक्रम को अमृतसर और तरनतारन के 78 स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाया गया, तब इसके नतीजे चौंकाने वाले थे। 9,600 बच्चों में से 90% ने माना कि चिट्टा जैसी ड्रग एक बार भी लेने पर लत लग सकती है, वहीं पहले जहां 50% बच्चे मानते थे कि केवल इच्छाशक्ति से नशा छोड़ा जा सकता है, अब वो संख्या घटकर सिर्फ 20% रह गई।

    ये आंकड़े बताते हैं कि सही शिक्षा से सोच बदली जा सकती है, और सोच से ही समाज बदलता है। मान सरकार की नीति स्पष्ट है, नशे की सप्लाई पर सख्ती और डिमांड पर समझदारी से चोट। मार्च 2025 से शुरू हुए युद्ध नशे विरुद्ध अभियान के तहत अब तक 23,000 से अधिक नशा तस्कर जेल भेजे जा चुके हैं, 1,000 किलो से अधिक हेरोइन जब्त हो चुकी है और कई करोड़ की संपत्तियां सरकार ने जब्त की हैं।

    लेकिन सरकार जानती है कि सिर्फ सज़ा से समाधान नहीं होगा। असली बदलाव तब होगा जब हमारा बच्चा खुद कहे, मैं नशे से दूर रहूंगा। भगवंत मान सरकार का यह कदम सिर्फ एक शिक्षा नीति नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति है। ये सरकार सिर्फ बात नहीं करती, जमीन पर काम करती है। ये सरकार आंकड़ों से नहीं, इंसानों की तकलीफ से फैसले करती है। आज जो शुरुआत हो रही है, वह आने वाले कल का नशामुक्त पंजाब बनाएगी, और यही सच्ची जीत होगी।

    अब वक्त आ गया है जब हर पंजाबी गर्व से कह सके, मेरे बच्चे को नशे से बचाने के लिए सरकार खड़ी है। यही है असली सेवा, यही है असली राजनीति। और यही है मान सरकार की पहचान।